भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) की वर्षगांठ
1 जुलाई को भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) की आठवीं वर्षगांठ ने वर्तमान प्रणाली की महत्वपूर्ण समस्याएं उजागर की हैं, जिनमें कर संग्रह के खराब आंकड़े भी शामिल थे।
निहितार्थ और चुनौतियाँ
- उपभोग कर संकेतक: GST संग्रह में गिरावट आर्थिक गतिविधि में कमी और प्रणाली की अकुशलता का संकेत देती है।
- ईंधन को GST में शामिल करना: यह एक कॉमन डिमांड है, लेकिन राजस्व स्वतंत्रता की चिंताओं के कारण राज्य सरकारों द्वारा इसका विरोध किया जाता है।
- संरचनात्मक परिवर्तन की आवश्यकता: 'एक राष्ट्र, एक कर' के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए व्यापक समावेशन की आवश्यकता है।
सुधारों की सिफ़ारिशें
- राज्य का हिस्सा बढ़ाना: केंद्रीय करों में राज्य का हिस्सा बढ़ाने पर केंद्र को सहमत होना चाहिए।
- GST दरों में कमी: इसके लिए हितधारकों द्वारा आग्रह किया गया है और वर्तमान में GST परिषद द्वारा इस पर विचार किया जा रहा है।
GST क्षतिपूर्ति उपकर का भविष्य
- वर्तमान उद्देश्य: प्रारंभ में इसका उद्देश्य राज्यों को GST से संबंधित नुकसान की भरपाई करना था, जिसे कोविड-19 के बाद बढ़ा दिया गया।
- सिफ़ारिशें: इसे व्यापक GST दरों के साथ विलय करने से बचना चाहिए तथा इसका उद्देश्य पूरा हो जाने पर इसे हटा देना चाहिए।
व्यापक कराधान अनुबंध
- केंद्र-राज्य-जनता समझौता: कराधान में कई हितधारक शामिल होते हैं।
- सार्वजनिक लाभ: अनावश्यक उपकरों को हटाने से जनता का मनोबल और शहरी उपभोग को बढ़ावा मिल सकता है।