सुप्रीम कोर्ट और बिहार में मतदाता सूची संशोधन
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने घोषणा किया है कि वह 10 जुलाई को भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के आदेश को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करेगा।
याचिकाकर्ताओं की चिंताएँ
- याचिकाकर्ता इस कार्य की व्यवहार्यता को लेकर चिंतित हैं, उनका कहना है कि आठ करोड़ लोग मतदाता हैं, जिनमें से चार करोड़ लोगों की गणना की आवश्यकता है।
- आपत्तियों में आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र को वैध दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने से इनकार करना शामिल है।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की याचिका
ADR ने तर्क दिया कि यदि 24 जून, 2025 के SIR आदेश को रद्द नहीं किया गया, तो यह मनमाने ढंग से असंख्य मतदाताओं को मताधिकार से वंचित कर सकता है, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों के संवैधानिक जनादेश को खतरा हो सकता है।
दस्तावेज़ीकरण और समयसीमा पर चिंताएँ
- निर्देश में कठोर दस्तावेजीकरण की मांग की गई है तथा केवल सीमित समय-सीमा की अनुमति दी गई है, जिसके परिणामस्वरूप वास्तविक मतदाता अपने मताधिकार से वंचित हो सकते हैं।