भारत में विनिर्माण क्षेत्र की संवृद्धि पर एक नजर
जून 2025 तिमाही में घोषित नई परियोजनाओं में से आधे से ज़्यादा की अगुवाई विनिर्माण क्षेत्र ने की, जो उद्योग में एक महत्वपूर्ण रुझान को दर्शाता है। यह वृद्धि रोज़गार सृजन और आर्थिक विकास पर इसके संभावित प्रभाव के लिए उल्लेखनीय है।
प्रमुख आँकड़े और रुझान
- घोषित विनिर्माण परियोजनाओं का मूल्य लगभग ₹2.3 ट्रिलियन था, जो कुल नई परियोजनाओं का 54% था।
- यह 10 तिमाहियों में सबसे अधिक हिस्सा है तथा 2010 के बाद से ऐसा छह बार से भी कम हुआ है।
सरकार और निजी क्षेत्र की भूमिका
सरकार बुनियादी ढाँचे में निवेश के माध्यम से पूंजीगत व्यय की एक प्रमुख प्रेरक रही है। निजी पूंजीगत व्यय में विनिर्माण की महत्वपूर्ण भूमिका आर्थिक विकास के लिए इसके महत्व को दर्शाती है।
रोजगार सृजन और आर्थिक प्रभाव
- भारत को 2030 तक प्रतिवर्ष लगभग 7.9 मिलियन नए गैर-कृषि रोजगार सृजित करने की आवश्यकता है, जिससे विनिर्माण क्षेत्र महत्वपूर्ण हो जाएगा।
- विनिर्माण के लिए पूंजीगत व्यय जून 2024 में बढ़कर 60,000 करोड़ रुपये हो गया, जो सकारात्मक रुझान का संकेत है।
विनिर्माण विकास पर प्रभाव
- कुछ क्षेत्रों से चीन की रणनीतिक वापसी से भारतीय विनिर्माण को लाभ हुआ है।
- चीन पर विनिर्माण निर्भरता को कम करने के वैश्विक प्रयासों से भारत को लाभ हुआ है।
- घरेलू कंपनियां अपनी उत्पादक क्षमताओं का अधिकाधिक उपयोग कर रही हैं, जिससे आगे निवेश को प्रोत्साहन मिल रहा है।
क्षेत्र-विशिष्ट विकास
- नये पूंजीगत व्यय घोषणाओं में धातु एवं धातु उत्पादों का योगदान 34.3% रहा, इसके बाद रसायन (8.3%) और मशीनरी (3.5%) का स्थान रहा।
- महत्वपूर्ण परियोजनाओं में वेदांता की ढेंकनाल एल्युमीनियम स्मेल्टर परियोजना और दीपक नाइट्राइट का रसायन विनिर्माण परिसर शामिल हैं।
भविष्य की संभावनाएँ
- फार्मास्यूटिकल्स, रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो कंपोनेंट जैसे क्षेत्रों में वृद्धि की उम्मीद है।
- ये क्षेत्र भारत के लागत और गुणवत्ता पर प्रतिस्पर्धी फोकस के लिए विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त हैं।