दिवालियापन मामलों का समाधान: चुनौतियाँ और सिफारिशें
हाल ही में, वित्त संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (IBC) के तहत दिवाला मामलों में तेजी लाने के लिए एक समर्पित राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) और राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) की स्थापना पर चर्चा की।
वर्तमान चुनौतियाँ
- IBC एक महत्वपूर्ण सुधार है, जिसका उद्देश्य सुचारू और समय पर कंपनी से बाहर निकलना है, लेकिन समाधान प्रक्रिया में देरी से समस्या उत्पन्न होती है।
- भूषण पावर एंड स्टील मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने इस प्रक्रिया को और जटिल बना दिया है।
- मौजूदा NCLT को IBC मामलों पर निर्णय देने का काम सौंपा गया है। हालांकि, इस पर क्षमता में सुधार किए बिना ही अत्यधिक कार्यभार है।
प्रस्तावित समाधान
- समर्पित न्यायाधिकरण: IBC मामलों को विशेष रूप से संभालने के लिए एक समर्पित NCLT और अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना।
- क्षमता वृद्धि: वर्तमान NCLT और NCLAT की क्षमता में तेजी से वृद्धि।
- विलंब के कारणों का पता लगाना: विलंब के मूल कारणों की जांच करना और उनका समाधान करना।
समय पर समाधान का महत्व
- मामलों का समय पर समाधान न केवल बेहतर परिणाम देता है, बल्कि व्यापार संचालन की सुगमता (ease of doing business) में भी वृद्धि करता है।
- दिवालियापन प्रक्रिया की विश्वसनीयता और निश्चितता सुनिश्चित करने के लिए संशोधनों की आवश्यकता है।
- समाधान योजना को कई वर्षों के बाद रद्द किए जाने का जोखिम निवेशकों और लेनदारों के विश्वास को कमजोर करता है। इसे रोकना आवश्यक है।