भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र का विकास
भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र ने क्षमता वृद्धि में वर्ष-दर-वर्ष उल्लेखनीय वृद्धि प्रदर्शित की है, जो जून 2025 में 420% तक पहुंच गई है। मुंबई में IVCA नवीकरणीय ऊर्जा शिखर सम्मेलन के दौरान केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने उल्लेख किया है कि, यह क्षमता पिछले वर्ष के 1.4 गीगावाट से बढ़कर 7.3 गीगावाट हो गई है।
सौर ऊर्जा की प्रगति
- सौर ऊर्जा क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है, जो 4,000% बढ़कर 2.82 गीगावाट से 2025 तक 117 गीगावाट हो गई है।
- सौर ऊर्जा शुल्क में 80% की उल्लेखनीय कमी आई है, जो 2010-11 में ₹10.95/यूनिट से घटकर वर्तमान में ₹2.15/यूनिट हो गया है।
- बैटरी भंडारण के साथ सौर ऊर्जा अब तापीय ऊर्जा की तुलना में अधिक लागत प्रभावी हो गई है।
पवन ऊर्जा विकास
- इसी अवधि में पवन ऊर्जा क्षमता में 140% की वृद्धि हुई, जो 21 गीगावाट से बढ़कर 51.7 गीगावाट हो गयी।
निवेश और आर्थिक प्रभाव
- 2024 में, बिजली क्षेत्र में निवेश का उल्लेखनीय 83% नवीकरणीय ऊर्जा के लिए आवंटित किया गया।
- भारत ने एक ही वर्ष में स्वच्छ ऊर्जा के लिए 2.4 बिलियन डॉलर का वैश्विक ऊर्जा विकास वित्त आकर्षित किया।
- 2020 से, इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ₹1.6 लाख करोड़ से अधिक हो गया है, जिसमें अकेले 2023 में ₹42,000 करोड़ शामिल हैं।
- 2025 की पहली तिमाही में स्वच्छ ऊर्जा निवेश वर्ष-दर-वर्ष 7.7 गुना बढ़कर 9.8 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया।
अपशिष्ट से ऊर्जा पहल
- अहमदाबाद में भारत का सबसे बड़ा अपशिष्ट-से-ऊर्जा संयंत्र प्रतिदिन 1,000 टन ठोस अपशिष्ट को बिजली में परिवर्तित करता है।
- ये पहल इस बात को रेखांकित करती हैं कि भारत का ऊर्जा परिवर्तन न केवल टिकाऊ है, बल्कि समावेशी भी है, जो शहरों, किसानों और समुदायों को लाभ प्रदान करता है।