शिक्षा पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
जलवायु परिवर्तन का शिक्षा पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है, जो हाल के दशकों में हुई शैक्षिक उपलब्धियों को संभावित रूप से नष्ट कर रहा है। यह विशेष रूप से अत्यधिक गर्मी और अन्य जलवायु-संबंधी तनावों के संपर्क में आने से स्पष्ट होता है।
ग्लोबल रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
- स्कूली शिक्षा का नुकसान: अत्यधिक गर्मी के संपर्क में आने वाले बच्चों की स्कूली शिक्षा में 1.5 वर्ष तक की हानि हो सकती है।
- स्कूल बंद होना: खासकर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में जलवायु संबंधी घटनाएं, जैसे- गर्मी, वनाग्नि, तूफान, बाढ़, सूखा, बीमारियां और समुद्र का बढ़ता स्तर अक्सर स्कूलों के बंद होने का कारण बनते हैं।
- ऐतिहासिक प्रभाव: पिछले दो दशकों में, 75% चरम मौसम की घटनाओं के कारण स्कूल बंद हुए, जिससे पांच मिलियन से अधिक लोग प्रभावित हुए।
शिक्षा पर गर्मी का प्रभाव
- स्कूली शिक्षा के कम वर्षों से संबंध: 29 देशों के विश्लेषण से पता चलता है कि जन्मपूर्व और प्रारंभिक जीवन में उच्च तापमान के संपर्क में आने का संबंध स्कूली शिक्षा के कम वर्षों से है।
- प्रदर्शन संबंधी प्रभाव:
- चीन में उच्च तापमान के कारण परीक्षा परिणाम कम हो गया तथा स्नातक और कॉलेज प्रवेश दर प्रभावित हुई।
- अमेरिका में तापमान में 1°C की वृद्धि से परीक्षा स्कोर में 1% की कमी आई तथा अल्पसंख्यक समूह असमान रूप से प्रभावित हुए।
हाशिए पर पड़ी आबादी के बीच जलवायु भेद्यता
- जोखिम का वितरण: 2019 में चरम मौसम से सबसे अधिक प्रभावित 10 देशों में से आठ निम्न या निम्न-मध्यम आय वाले देश थे।
- उच्च जोखिम वाली आबादी: बच्चों के लिए अत्यधिक उच्च जलवायु जोखिम वाले 33 देशों (लगभग एक अरब लोग) में से 29 देश नाजुक स्थिति में हैं।
- स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं: अमेरिका में, जलवायु-जनित वायु प्रदूषण के कारण निम्न आय वर्ग के बच्चों में अस्थमा के मामले बढ़ने की संभावना अधिक है।
प्रतिक्रिया और शमन रणनीतियाँ
- बुनियादी ढांचे में सुधार: अमेरिका के आधे सार्वजनिक स्कूल जिलों में हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग प्रणालियों को अपडेट करने की आवश्यकता है।
- आपदा प्रबंधन योजनाएँ: आपदा प्रबंधन रणनीतियों वाले स्कूल संकट के दौरान अधिक प्रभावी रहे, जैसे कि 2013 की जकार्ता बाढ़।