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Economics Class Hindi

विगत कक्षा से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर (1:09:26 PM)

विगत कक्षा की चर्चा (1:25:49 PM)

मुद्रास्फीति (1:27:17 PM)

  • मुद्रास्फीति से आशय वस्तुओं एवं सेवाओं की कीमतों में हुई उस स्थाई वृद्धि से है जिसे गणितीय विधि से मापा जा सकता हो| (लैसपाइरस)
  • दूसरे शब्दों में मुद्रास्फीति से आशय उस स्थिति से है जिसमें किसी देश की मुद्रा की क्रय क्षमता में कमी आ जाती है|(फिशर द्वारा दी गयी परिभाषा)
  • कीन्स के अनुसार, सामान्यतः जब भी मांग एवं आपूर्ति में असंतुलन होता है चाहे फिर वह मांग के बढ़ जाने से हो या आपूर्ति के घट जाने से, तो मुद्रास्फीति की स्थिति जन्म लेती है|

मुद्रास्फीति से जुड़े कुछ प्रमुख सिद्धांत (1:31:59 PM)

  • फिलिप वक्र- इसके अनुसार मुद्रास्फीति बढ़ने पर एक निश्चित बिंदु तक बेरोजगारी की दर में कमी आती है, अर्थात यह सिद्धांत स्पष्ट करता है कि किसी अर्थव्यवस्था में एक निश्चित मात्रा तक मुद्रास्फीति का बढना स्वस्थ संकेत है| 
  • मुद्रा की मात्रात्मकता का सिद्धांत- इस सिद्धांत के अनुसार यदि मुद्रा की आपूर्ति को दो गुना कर दिया जाए तो मुद्रास्फीति भी दो गुनी हो जायेगी | फिशर ने इसे सैद्धांतिक रूप से सिद्ध किया| इस सिद्धांत का सबसे अधिक लाभ यह हुआ कि मुद्रा स्फीति को नियंत्रित या प्रोत्साहित करने हेतु अर्थव्यवस्था के पास एक अति प्रभावी विकल्प उपलब्ध हुआ|
  • घटती सीमान्त उपयोगिता का सिद्धांत- उपयोगिता से आशय किसी वस्तु के उपभोग से मिली संतुष्टि से है|किसी वस्तु की उपयोगिता को यदि तुरंत उस वस्तु को पुनः उपलब्ध कराने पर गणना की जाए तो उसे सीमान्त उपयोगिता कहा जाता है और यदि इसमें कमी दिखती हो तो उसे घटती सीमान्त उपयोगिता कहा जाता है|
  • किसी भी देश में यदि आवश्यक वस्तुओं के संदर्भ में सीमान्त उपयोगिता घटने के क्रम में न हो तो उन वस्तुओं सेवाओं की मुद्रास्फीति व्यक्तिगत बचत एवं निवेश को प्रतिकूल रूप से प्रभावी करती है|

मुद्रास्फीति के कारणों का विश्लेषण (2:00:15 PM)

मुद्रास्फीति के कारण (2:23:39 PM)

  • सामान्यतः मुद्रास्फीति के दो प्रमुख कारण कहे जाते हैं यथा 
  • 1- मांग जनित कारण (डिमांड पुल इन्फ्लेशन)
  • 2- आपूर्ति जनित कारण (कॉस्ट पुश इन्फ्लेशन)

मांग जनित कारण (डिमांड पुल इन्फ्लेशन)

  • मांग जनित मुद्रास्फीति से आशय उस स्थिति से है जिसमें विभिन्न कारणों से मांग में अचानक वृद्धि हो जाती है जैसे 
  • किसी भी कारण से यदि निजी उपभोग बढ़ जाए जैसे आय में वृद्धि, महंगाई भत्ते में वृद्धि (यद्यपि प्रारम्भ में महंगाई भत्ते का बढना महंगाई का परिणाम है न कि कारण), कर में कटौती, हेलिकॉप्टर मनी की उपलब्धता (हेलीकाप्टर मनी से आशय सहज प्रकार से उपलब्ध कराई गयी मुद्रा से है)
  • किसी भी कारण से सार्वजनिक व्यय में वृद्धि जैसे नए मंत्रालयों का गठन, नए कार्यक्रमों को प्रारम्भ करना आदि 
  • किसी भी कारण से पूंजीगत निवेश में वृद्धि 
  • निर्यात में वृद्धि /आयात में कमी आदि|

आपूर्ति जनित कारण (कॉस्ट पुश इन्फ्लेशन) (2:33:11 PM)

  • इसके अंतर्गत वे घटक आते हैं जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आपूर्ति को बाधित करते हैं जैसे- 
  • प्राकृतिक आपदाएं
  • आपूर्ति श्रंखला में व्यवधान
  • श्रम की अनुपलब्धता 
  • काला बाजारी 
  • निवेश में कमी से उत्पादन क्षमता में कमी 
  • तकनीकी गत दक्षता एवं नवाचार में कमी आदि|

मुद्रास्फीति के प्रकार (2:44:56 PM)

  • शांत मुद्रास्फीति (म्युटेड)- जब मुद्रास्फीति की दर सामान्यतः 0 से 2 % के आसपास हो
  • रेंगती/सरकती मुद्रास्फीति (Creeping Inflation)- इस प्रकार की मुद्रास्फीति में सामान्यतः मुद्रास्फीति की दर एक अंकीय होती है| इस प्रकार की मुद्रास्फीति को अर्थव्यवस्था के लिए स्वस्थ माना जाता है
  • चलती हुई मुद्रास्फीति (Walking Inflation)- इस प्रकार की मुद्रास्फीति में मुद्रास्फीति की दर सामान्यतः 10% से अधिक हो जाती है जो स्थिति को थोड़ा चिंताजनक बनाती है| यद्यपि स्थिति पर नियंत्रण संभव होता है
  • दौड़ती/भागती मुद्रास्फीति- इस प्रकार की मुद्रास्फीति में मुद्रास्फीति की दर लगभग अनियंत्रित हो जाती है जिसके अर्थव्यवस्था में दुष्परिणाम दिखाई पड़ने लगते हैं| 
  • अति मुद्रास्फीति/हाइपर मुद्रास्फीति (Galloping Inflation)- इस प्रकार की मुद्रास्फीति में कीमतों में अत्यधिक बढ़ोतरी हो चुकी होती है जो अर्थव्यवस्था को दूरगामी दुष्परिणाम डालती है|

3:06:30 PM-3:28:40 PM

छात्रों द्वारा पूछे गए प्रश्नों पर चर्चा 

मुद्रास्फीति जाल (इन्फ्लेशन ट्रैप) (3:37:34 PM)

  • मुद्रास्फीति जाल से आशय उस स्थिति से है जिसमें मुद्रास्फीति के बढ़ने के परिणाम स्वरुप वेतन एवं महंगाई भत्ते बढ़ोत्तरी की जाती है जो कालान्तर में मुद्रास्फीति को बढ़ा रहा होता है|इस प्रकार एक दुश्चक्र का निर्माण होता है जिसे मुद्रास्फीति जाल कहा जाता है|
  • इस दुश्चक्र को रोकने का विकल्प यह है कि वेतन में हुई बढ़ोत्तरी को बचत हेतु प्रेरित किया जाए या उन क्षेत्रों में निवेश किया जाए जो आपूर्ति को बेहतर कर सकें|

डिसइन्फ्लेशन (Deinflation) (3:45:06 PM)

  • डिसइन्फ्लेशन से आशय उस स्थिति से है जिसमें यद्यपि मुद्रास्फीति की स्थिति तो है परन्तु मुद्रास्फीति की दर में गिरावट हो रही है 
  • उदाहरण के लिए सितम्बर माह से अक्टूबर माह की मुद्रास्फीति 4% थी जो अक्टूबर के संदर्भ में नवम्बर माह में 3 % रह गयी तो इसे डिसइन्फ्लेशन की स्थिति कहा जाएगा 

डीफ्लेशन (3:58:48 PM)

  • डीफ्लेशन से आशय उस स्थिति से है जिसमें कीमतों में नकारात्मक वृद्धि अर्थात गिरावट देखी जा रही है 
  • डीफ्लेशन, अर्थव्यवस्था के लिए अति घातक हो सकता है क्योंकि इससे उत्पादन एवं मांग में कमी आती है तथा अर्थव्यवस्थाएं संकुचित होना प्रारम्भ कर देती हैं|

डीफ्लेशन जाल (4:01:25 PM)

  • डीफ्लेशन जाल से आशय उस स्थिति से है जिसमें कीमतों में गिरावट के परिणामस्वरूप रोजगार में कमी तथा मांग में कमी हो जाती है जो कीमतों में और गिरावट को प्रेरित करती है|

रीफ्लेशन (4:03:36 PM)

  • रीफ्लेशन से आशय सरकार द्वारा किये गये उन प्रयासों से है जो घट रही मुद्रास्फीति दर (डिसइन्फेल्शन) तथा नकारात्मक मुद्रास्फीति की दर (डीफ्लेशन) को ठीक करने के लिए किये जा रहे हैं|

कुछ अन्य अवधारणाओं की चर्चा (4:07:05 PM)

  • स्रिंकिंग इन्फेल्शन
  • स्टिकी इन्फेल्शन

TOPIC FOR NEXT CLASS- मुद्रास्फीति का मापन एवं प्रभाव