ग्रामीण विकास और पंचायती राज संबंधी संसद की स्थायी समिति ने मनरेगा से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस रिपोर्ट में राज्यों में कम मजदूरी और मजदूरी दर में असमानता संबंधी मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है। साथ ही, मनरेगा में सुधारों से संबंधित सुझाव भी दिए गए हैं।
मनरेगा से संबंधित अन्य मुद्दे
- भुगतान संबंधी मुद्दे: इसमें भुगतान में देरी तथा राज्यों द्वारा बेरोजगारी भत्ता और विलंब संबंधी मुआवजा न देना शामिल है।
- प्रौद्योगिकी को अपनाना: इंटरनेट कनेक्टिविटी, स्मार्टफोन की आवश्यकता आदि से संबंधित मुद्दों के कारण लाभार्थी वंचित रह जाते हैं।
- सोशल ऑडिट: ग्राम सभाओं द्वारा सोशल ऑडिट के संचालन में अनियमितताएं देखी गई हैं। उदाहरण के लिए, 2020-21 में केवल 14% ग्राम पंचायतों में त ने विकास योजनाओं का ऑडिट किया गया था।
समिति की मुख्य सिफारिशें
- मजदूरी दर में संशोधन: मजदूरी दर को बढ़ती मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त सूचकांक से जोड़ा जाना चाहिए।
- मजदूरी में समानता: मनरेगा लाभार्थियों को सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में समानता के आधार पर मजदूरी का भुगतान किया जाना चाहिए। यह संविधान के अनुच्छेद 39(d) (राज्य की नीति के निदेशक तत्व) के अनुपालन में होना चाहिए।
- अनुच्छेद 39(d) में पुरुष और महिला दोनों के लिए समान कार्य हेतु समान वेतन का प्रावधान किया गया है।
- मजबूत वित्तीय प्रबंधन: वेतन और सामग्री संबंधी घटकों के लंबित मामलों को जल्दी से जल्दी निपटाया जाना चाहिए।
- कार्य के गारंटीकृत दिनों में वृद्धि करना: कार्य की मांग को पूरा करने के साथ-साथ संधारणीय परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए कार्य के गारंटीकृत दिनों को 100 से बढ़ाकर 150 दिवस किया जाना चाहिए।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) के बारे में
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