मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) {MGNREGA (MAHATMA GANDHI NATIONAL RURAL EMPLOYMENT GUARANTEE ACT)}
Posted 12 Nov 2025
Updated 19 Nov 2025
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Article Summary
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केंद्र ने योजना में संशोधन करके जल संरक्षण कार्यों को प्राथमिकता दी, जल-संकटग्रस्त क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया और ग्रामीण आजीविका और संसाधन स्थिरता को बढ़ाने के लिए जल-संबंधी परियोजनाओं के लिए अधिक धनराशि सुनिश्चित की।
सुर्ख़ियों में क्यों?
केंद्र सरकार ने मनरेगा अधिनियम की अनुसूची-I में संशोधन किया है। इसके तहत ग्रामीण ब्लॉकों में जल संरक्षण और संबंधित कार्यों को प्राथमिकता दी गई है।
योजना के मुख्य उद्देश्य
योजना की प्रमुख विशेषताएं
ग्रामीण क्षेत्रों में माँग के अनुसार प्रत्येक परिवार को एक वित्तीय वर्ष में कम-से-कम 100 दिनों का अकुशल शारीरिक श्रमगारंटीशुदा रोज़गार के रूप में प्रदान करना।
गरीबों के आजीविका संसाधन आधार को मजबूत करना।
सामाजिक समावेशन को सक्रिय रूप से सुनिश्चित करना।
पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत करना।
प्रमुख संशोधन
भूजल वर्गीकरण में 'अति-दोहित' (Over-exploited), 'क्रिटिकल' (Critical), 'सेमी-क्रिटिकल' (Semi-critical), और 'सेफ' (Safe) के रूप में वर्गीकृत ब्लॉकों को कार्रवाई के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के रूप में माना जाएगा।
जिला कार्यक्रम समन्वयक या कार्यक्रम अधिकारी को यह सुनिश्चित करना होगा कि इन ब्लॉकों में कुल परियोजना लागत का न्यूनतम हिस्सा जल-संबंधी कार्यों पर निम्नानुसार खर्च किया जाए:
65% अति-दोहित और क्रिटिकल ग्रामीण ब्लॉकों में
40% सेमी-क्रिटिकल ग्रामीण ब्लॉकों में
30% सेफ ग्रामीण ब्लॉकों में
मूल्यांकन इकाइयों का वर्गीकरण डायनेमिक ग्राउंड वाटर रिसोर्सेज असेसमेंट रिपोर्ट (केंद्रीय भूजल बोर्ड) के अनुसार होगा।
MGNREGA के बारे में:
शुरुआत: 2005
प्रकार: केंद्र प्रायोजित योजना (60:40 केंद्र और राज्यों द्वारा)
मंत्रालय: ग्रामीण विकास मंत्रालय।
कुल परिव्यय: 86,000 करोड़ रूपये (केंद्रीय बजट 2025)।
लाभार्थी: ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले 18 वर्ष से अधिक आयु के परिवार के सभी सदस्य।
कवरेज:100% शहरी आबादी वाले जिलों को छोड़कर संपूर्ण देश।
निगरानी: ग्राम सभा द्वारा सामाजिक ऑडिट।
मजदूरी दर का आधार:
CPI-AL (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक-कृषि श्रमिक)।
प्रत्येक राज्य/ संघ शासित क्षेत्र केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित मजदूरी दर से अधिक मजदूरी प्रदान कर सकता है।
अतिरिक्त 50 दिन का अकुशल मज़दूरी रोज़गार एक वित्तीय वर्ष में निम्नलिखित के दौरान:
सूखा/ प्राकृतिक आपदा से प्रभावित अधिसूचित ग्रामीण क्षेत्र, और
वन क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति (ST) परिवारों के लिए, बशर्ते इन परिवारों के पास वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006 के तहत दिए गए भूमि अधिकारों को छोड़कर कोई अन्य निजी संपत्ति न हो।
राज्य सरकारें अधिनियम के तहत गारंटीकृत अवधि से अधिक अपने स्वयं के धन सेअतिरिक्त दिनों के रोज़गार का प्रावधान कर सकती हैं।
काम नहीं मिलने पर बेरोजगारी भत्ता देने का अधिकार दिया गया है और मजदूरी भुगतान 15 दिनों में करना अनिवार्य किया गया है।
विलंब मुआवजा मस्टर रोल बंद होने के 16वें दिन के बाद देरी की अवधि के लिए प्रति दिन अदत्त मजदूरी के 0.05% की दर से दिया जाएगा।
मनरेगा के तहत श्रमिकों की विशेष श्रेणी (सुभेद्य समूह):
इसमें दिव्यांग व्यक्ति, आदिम जनजातीय समूह, खानाबदोश जनजातीय समूह, विमुक्त जनजातियां, विशेष परिस्थितियों में महिलाएं, वरिष्ठ नागरिक (65 वर्ष से अधिक आयु), HIV पॉजिटिव व्यक्ति, आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्ति और पुनर्वासित बंधुआ मजदूर शामिल हैं।
मनरेगा की मुख्य प्रक्रियात्मक विशेषताएं:
ग्राम पंचायत स्तर पर मजदूरी और सामग्री का अनुपात 60:40 पर बनाए रखा जाना चाहिए।
इस अधिनियम के तहत पंजीकृत और काम का अनुरोध करने वाले लाभार्थियों में कम-से-कम 1/3 भाग महिलाएं होंगी।
अन्य मुख्य विशेषताएं:
जियो-मनरेगा: इसके तहत परिसंपत्ति निर्माण के "पहले", "दौरान" और "बाद" के चरणों में जियोटैगिंग द्वारा परिसंपत्ति निर्माण को ट्रैक किया जाता है।
प्रोजेक्ट 'उन्नति' (Project 'UNNATI'): इसका उद्देश्य मनरेगा लाभार्थियों को कौशल प्रदान करना है, ताकि वे वर्तमान आंशिक रोज़गार से पूर्णकालिक रोजगार की ओर बढ़ सकें।
उपलब्धियां:
मनरेगा विश्व का सबसे बड़ा सामाजिक कल्याण कार्यक्रम बन गया है।
महिलाओं की भागीदारी 2014 के 48% से बढ़कर 2025 में 58% हो गई है।