यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा विगत 50 वर्षों में लवण-प्रभावित मृदा (Salt-Affected Soils) की स्थिति का पहला बड़ा वैश्विक आकलन है।
- लवण प्रभावित मृदा में या तो घुलनशील लवण यानी सैलाइन सॉइल या एक्सचैंजेबल सोडियम आयन यानी सोडिक सॉइल की उच्च मात्रा होती है।
- इनकी उच्च मात्रा मृदा की उर्वरता और पौधों की वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
- लवणीय मृदा की मात्रा को विद्युत चालकता के आधार पर मापा जाता है। जितनी अधिक विद्युत चालकता होगी, मृदा में लवण की मात्रा उतनी ही अधिक होगी।
मृदा के लवणीकरण और सोडिफिकेशन को बढ़ाने वाले कारक
- मानव-जनित कारक:
- कृषि पद्धतियों में दक्षता की कमी: इसके उदाहरण हैं- उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग, सिंचाई के लिए खराब गुणवत्ता वाले जल का उपयोग, सिंचाई के लिए जलभृतों (Aquifers) का अत्यधिक दोहन, समुचित जल निकासी प्रणाली का अभाव आदि।
- वनों की कटाई: गहरी जड़ों वाली वनस्पतियों को काटने से मृदा में लवण की मात्रा बढ़ती है। यह वास्तव में शुष्क भूमि में लवणीकरण का उदाहरण है।
- अन्य कारक: तटीय और आंतरिक क्षेत्रों में अत्यधिक जल पंप करना, खनन गतिविधियां आदि भी मृदा में लवण की मात्रा बढ़ाती हैं।
- प्राकृतिक कारक: जलवायु संकट से शुष्कता का बढ़ना; पर्माफ्रॉस्ट पिघलना जैसे कारक भी मृदा की लवणता को बढ़ा रहे हैं।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- विश्व में मृदा लवणीकरण
- कवरेज: विश्व में लगभग 1.4 बिलियन हेक्टेयर भूमि यानी विश्व का कुल लगभग 10% क्षेत्रफल लवणीकरण से प्रभावित है। इसमें भविष्य में 24-32% वृद्धि की आशंका जताई गई है।
- सबसे अधिक प्रभावित देश:
- कुल क्षेत्रफल के मामले में ऑस्ट्रेलिया लवणीकरण से सबसे अधिक प्रभावित देश है। यहां 357 मिलियन हेक्टेयर भूमि लवणीकरण से प्रभावित है।
- कुल क्षेत्रफल के प्रतिशत के मामले में ओमान लवणीकरण से सबसे अधिक प्रभावित देश है। ओमान का 93.5 प्रतिशत भू-क्षेत्र लवणीकरण से प्रभावित है।
- भारत में लवणता से प्रभावित मृदा
- कवरेज: भारत का लगभग 6.72 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र लवणीकरण से प्रभावित है। यह भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 2.1% है।
- सबसे अधिक प्रभावित राज्य (क्षेत्रफल के अनुसार): सबसे अधिक प्रभावित राज्य गुजरात है। उसके बाद उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और राजस्थान का स्थान है।
- सिंचाई के लिए खारे भूजल (Brackish groundwater) के उपयोग के कारण भारत की कुल सिंचित कृषि भूमि का लगभग 17% हिस्सा लवणीकरण से प्रभावित है।
- संधारणीय कृषि प्रबंधन पद्धतियां:
- लवणीकरण की समस्या से निपटने के लिए रिपोर्ट में संधारणीय कृषि प्रबंधन पद्धतियों को अपनाने का सुझाव दिया गया है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं-
- मल्चिंग अपनाना,
- लवण-सहिष्णु पादप किस्में विकसित करना,
- बायोरिमेडिएशन तकनीक अपनाना, आदि।
- लवणीकरण की समस्या से निपटने के लिए रिपोर्ट में संधारणीय कृषि प्रबंधन पद्धतियों को अपनाने का सुझाव दिया गया है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं-