इस विधेयक के जरिए आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है।
- इस विधेयक का उद्देश्य 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुरूप विकास योजनाओं में आपदा प्रबंधन को शामिल करना है।
विधेयक के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर:
- योजना की तैयारी: आपदा से निपटने की योजना बनाने की जिम्मेदारियां राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों (SDMAs) को सौंपी गई है। पहले ये जिम्मेदारियां कार्यकारी समितियों के पास थी।
- NDMA और SDMAs के कार्यों का विस्तार: इन्हें अपने-अपने अधिकार-क्षेत्र में आपदा जोखिमों का आकलन करने, तकनीकी सहायता प्रदान करने, राहत संबंधी दिशा-निर्देशों की सिफारिश करने जैसे अतिरिक्त कार्य सौंपे गए हैं।
- राष्ट्रीय और राज्य आपदा डेटाबेस: इसमें आपदा जोखिमों के प्रकार और गंभीरता, फंड का आवंटन जैसी सूचनाएं होंगी।
- शहरी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण: यह विधेयक राज्य सरकार को राज्य की राजधानियों और नगर निगम वाले शहरों के लिए अलग से शहरी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण गठित करने का अधिकार देता है।
- राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) का गठन: यह विधेयक राज्य सरकार को SDRF गठित करने तथा इसके कार्य और सेवा-शर्तें निर्धारित करने का अधिकार देता है।
- राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (NCMC) और उच्च स्तरीय समिति (HLC): विधेयक में NCMC और HLC को वैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है।
- NCMC बड़ी आपदाओं के लिए नोडल संस्था के रूप में कार्य करेगी। वहीं HLC आपदाओं के दौरान राज्य सरकारों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के बारे में
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