भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर ने “लापरवाह वित्तीयकरण (Reckless Financialization)” के खिलाफ चेतावनी दी | Current Affairs | Vision IAS
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अत्यधिक वित्तीयकरण के प्रति आगाह करते हुए, RBI के डिप्टी गवर्नर ने यह भी कहा कि वित्तीय बाजार में अल्पकालिक लाभ का लालच आसानी से व्यक्तियों की दीर्घकालिक वित्तीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचा सकता है।

वित्तीयकरण (Financialization) क्या है?

  • वित्तीयकरण वह प्रक्रिया है जिसमें वित्तीय उद्देश्यों, वित्तीय बाजारों, मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स, मार्केट एक्टर्स, वित्तीय संस्थानों आदि का किसी अर्थव्यवस्था पर प्रभाव बढ़ जाता है। यह न केवल घरेलू बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करता है, जिससे आर्थिक गतिविधियों में वित्तीय क्षेत्र की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।
  • यह प्रक्रिया निवेश को पारंपरिक ‘भौतिक संपत्तियों’ (जैसे कि रियल एस्टेट, स्वर्ण) से हटाकर ‘वित्तीय संपत्तियों’ (जैसे कि म्यूचुअल फंड) की ओर स्थानांतरण को भी दर्शाती है।
  • हालांकि, अनियंत्रित या लापरवाह वित्तीयकरण, बाजार में अस्थिरता, ऋण बढ़ोतरी और डिफ़ॉल्ट जोखिम, विश्वास की कमी जैसे प्रणालीगत खतरे पैदा कर सकता है। 2008 का वैश्विक वित्तीय संकट इसका प्रमुख उदाहरण है।

अनियंत्रित या लापरवाह वित्तीयकरण में वृद्धि के कारण

  • अत्यधिक ऋण की उपलब्धता: असुरक्षित ऋण और मार्जिन ट्रेडिंग तक आसान पहुंच स्पेकुलेशन को बढ़ावा देती है, जिससे वित्तीय अस्थिरता बढ़ती है।
  • डेरिवेटिव यूफ़ोरिया: जटिल वित्तीय इंस्ट्रूमेंट्स का अधिक उपयोग आक्रामक ट्रेडिंग और बाजार की अस्थिरता को बढ़ावा देता है।
  • हाई-फ़्रीक्वेंसी ट्रेडिंग (HFT) का प्रसार: एल्गोरिदम आधारित ट्रेडिंग बाजार की गतिविधियों को तेज करती है, जो अक्सर सामान्य स्तर से अधिक हो जाती है।
  • वित्तीय निरक्षरता: खुदरा निवेशक प्रायः जोखिम को समझे बिना स्पेकुलेटिव ट्रेडिंग में शामिल होते हैं, जिससे भारी नुकसान होता है और बाजार में अस्थिरता बढ़ती है।
  • अल्पकालिक लाभ पर फोकस: जल्द लाभ की इच्छा दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता और सुरक्षा को नुकसान पहुंचाती है।
  • तकनीकी जोखिम: AI-ड्रिवेन ट्रेडिंग मॉडल में पारदर्शिता की कमी होती है, जिससे प्रणालीगत जोखिम बढ़ जाता है।
  • खुदरा निवेश में अपने प्रतिस्पर्धियों का दबाव: सोशल मीडिया के प्रभाव और हर्ड मेंटालिटी के कारण अनुभवहीन निवेशक स्पेकुलेटिव ट्रेडिंग में भाग लेने लगते हैं।

लापरवाह वित्तीयकरण से निपटने के उपाय

सक्रिय भागीदारी के साथ वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना

वित्तीय साक्षरता में वृद्धि

 

विनियामकीय निगरानी को मजबूत करना

AI-ड्रिवेन फाइनेंस में मानवीय निगरानी

जिम्मेदार तरीके से ऋण देने की व्यवस्था को बढ़ावा देना

विनियमन और नवाचार के बीच संतुलन 

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