प्रधान मंत्री ने जन विश्वास विधेयक 2.0 के माध्यम से सरकार के प्रयासों को रेखांकित किया, जिसका उद्देश्य विनियामकीय बोझ को कम कर नौकरशाही से जुड़ी बाधाओं को दूर करना है।
- जन विश्वास विधेयक 2.0: इसकी घोषणा केंद्रीय बजट 2025-26 में की गई है। इसका उद्देश्य ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ाने के लिए 100 से अधिक पुराने कानूनी प्रावधानों को अपराध के दायरे से बाहर करना है।
डिरेगुलेशन कमीशन (गैर-विनियमन आयोग) के बारे में
- परिभाषा: किसी उद्योग पर सरकार की निगरानी को कम या समाप्त करने की प्रक्रिया को डिरेगुलेशन कहा जाता है।
- दूसरे देशों में डिरेगुलेशन से जुड़ी पहलें:
- संयुक्त राज्य अमेरिका: सरकारी दक्षता विभाग (Department of Government Efficiency: DoGE)
- यूनाइटेड किंगडम: बेहतर विनियमन फ्रेमवर्क (Better Regulation Framework)
- न्यूजीलैंड: विनियमन मंत्रालय (Ministry of Regulation)
आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में डिरेगुलेशन का महत्त्व
- आर्थिक संवृद्धि को बढ़ावा: भारत को 8% की संवृद्धि दर हासिल करने के लिए निवेश दर को 31% से बढ़ाकर 35% तक करने की आवश्यकता है।
- उदाहरण के लिए, जापान और चीन ने डिरेगुलेशन की मदद से ही उच्च संवृद्धि दर हासिल की है।
- आर्थिक स्वतंत्रता में वृद्धि: यह नौकरशाही से जुड़ी बाधाओं को दूर करके प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है।
- उदाहरण के लिए, जन विश्वास अधिनियम, 2023 की सहायता से 42 केंद्रीय कानूनों के तहत 183 प्रावधानों को अपराध के दायरे से बाहर किया गया था। इसके कारण व्यापार संबंधी अनुपालन प्रक्रिया सरल बन गयी है।
- MSMEs हेतु नियमों के पालन की लागत में कमी: क्योंकि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए जटिल नियमों का पालन करना कठिन होता है।
- उदाहरण के लिए, हरियाणा और तमिलनाडु सरकार ने लघु व्यवसायों के लिए भवन निर्माण संबंधी नियमों में संशोधन किया है।
- प्रतिस्पर्धात्मक संघवाद को बढ़ावा: राज्य सरकारें एक-दूसरे के डिरेगुलेशन प्रयासों से सीखकर औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा दे सकती हैं।
- उदाहरण के लिए, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और हरियाणा सरकार ने महिलाओं के लिए नाइट शिफ्ट में काम करने पर लगी रोक में ढील दी है, जिससे महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़े हैं।
डिरेगुलेशन के समक्ष मौजूद चुनौतियां क्या हैं?
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