चीन के जियोलॉजिकल रिव्यू में प्रकाशित एक सर्वे के अनुसार चीन के इनर मंगोलिया क्षेत्र में बायन ओबो खनन परिसर से 1 मिलियन टन थोरियम प्राप्त हो सकता है।
थोरियम के बारे में

- थोरियम एक रेडियोधर्मी तत्व है, जो पृथ्वी की भूपर्पटी पर प्राकृतिक रूप से कम सांद्रता (लगभग 10 पार्ट्स प्रति मिलियन) में पाया जाता है।
- स्रोत: थोरियम अधिकांश चट्टानों और मिट्टी में अल्प मात्रा में पाया जाता है और यह यूरेनियम की तुलना में अधिक प्रचुर मात्रा में होता है।
- थोरियम का सबसे आम स्रोत दुर्लभ भू-फॉस्फेट खनिज, मोनाजाइट है। इसकी सर्वाधिक सांद्रता प्लेसर निक्षेपों में पाई जाती है।
- भंडार: भारत में विश्व का सबसे बड़ा थोरियम भंडार है (11.93 मिलियन टन मोनाजाइट, जिसमें 1.07 मिलियन टन थोरियम है)। इसके बाद ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त राज्य अमेरिका का स्थान आता है।
- विशेषता: यह अपने शुद्ध रूप में एक नरम, तन्य एवं चांदी जैसी दिखने वाली सफेद रंग की भारी धातु है।
- प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले सभी थोरियम मूलतः थोरियम-232 (Th-232) के रूप में होते हैं।
- परमाणु रिएक्टरों के लिए ईंधन: थोरियम-232 स्वयं विखंडनीय नहीं है और इसलिए, इसे विखंडनीय पदार्थ यूरेनियम-233 (U-233) में परिवर्तित करना पड़ता है।
- यह कार्य U-233 या प्लूटोनियम-239 (Pu-239) को विखंडनीय कारक के रूप में उपयोग करके Th-232 के इररेडिएशन के माध्यम से किया जाता है।
- थोरियम का उपयोग करने में सक्षम रिएक्टर: इनमें भारी जल रिएक्टर (PHWRs), दबावयुक्त (हल्के) जल रिएक्टर (PWRs), फास्ट न्यूट्रॉन रिएक्टर (FNR) आदि शामिल हैं।