क्रिप्टो स्ट्रैटेजिक रिजर्व
संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति ने क्रिप्टो स्ट्रैटेजिक रिजर्व बनाने की घोषणा की।
क्रिप्टो स्ट्रैटेजिक रिजर्व के बारे में
- क्रिप्टो स्ट्रैटेजिक रिजर्व डिजिटल एसेट्स का एक राष्ट्रीय भंडार होगा। इसे संघीय विनियामक फ्रेमवर्क के तहत बनाया जाएगा।
- डिजिटल एसेट्स के रूप में उपयोग की जाने वाली क्रिप्टोकरेंसी हैं: बिटकॉइन, इथीरियम, XRP, सोलाना और कार्डानो।
- महत्त्व: स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व के समान ही यह रिजर्व सरकार की एसेट्स होल्डिंग्स में विविधता लाएगा और वित्तीय संकटों के समय सुरक्षा प्रदान करेगा।
- मुख्य चिंताएं: क्रिप्टोकरेंसी में काफी उतार-चढ़ाव देखा जाता है, इसका राजनीतिक मंशा से दुरुपयोग किया जा सकता है, आदि।
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- क्रिप्टोकरेंसी
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नरव्हेल (Narwhals)
हाल ही में नरव्हेल का पहली बार उनके ‘टस्किंग बिहेवियर’ (Tusking behaviour) के लिए अध्ययन किया गया।
नरव्हेल के बारे में
- नरव्हेल का एक लंबा टस्क होता है, जो वास्तव में दांत है।
- नर के टस्क होता है, जबकि आमतौर पर मादा के पास टस्क नहीं होता है। हालांकि, यह आम लक्षण नहीं है। कुछ मादाओं में छोटा टस्क देखा गया है, वहीं कुछ नर में टस्क होता ही नहीं है। कुछ नरव्हेल में दो-दो टस्क रिकॉर्ड किए गए हैं।
- टस्क के उपयोग: जल में लवणता और तापमान का पता लगाने में सहायक होता है, शिकार करने और पर्यावरण में बदलाव के अनुसार ढ़लने में मदद करता है आदि।
- वैज्ञानिक नाम: मोनोडोन मोनोसेरोस (Monodon monoceros)। इसका अर्थ है: एक टस्क और एक सींग वाली व्हेल।
- पर्यावास क्षेत्र: कनाडा, ग्रीनलैंड, नॉर्वे और रूस में फैला आर्कटिक जल।
- IUCN रेड लिस्ट स्थिति: लीस्ट कंसर्न।
- जीवनकाल: मादा लगभग 100 वर्ष जीवित रह सकती है, जबकि नर लगभग 84 वर्ष तक जीवित रह सकता है।
- प्रजनन: गर्भकाल (लगभग 13 से 16 महीने)।
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- नरव्हेल
- मोनोडोन मोनोसेरोस
नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन
नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत ‘हाइड्रोजन ईंधन संचालित बसों और ट्रकों पर पायलट परियोजनाएं’ शुरू की गई।
- इन पायलट परियोजनाओं का एं के उद्देश्य: परिवहन क्षेत्रक में हाइड्रोजन के उपयोग के लिए व्यावसायिक रूप से उपयोगी प्रौद्योगिकियों का विकास करना।
- इसके अन्य उद्देश्यों में शामिल हैं- तकनीकी उपयोगिता और आर्थिक लाभप्रदता को सत्यापित करना, हाइड्रोजन ईंधन भरने वाले स्टेशन के प्रभावी होने का आकलन करना, आदि।
नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के बारे में
- उद्देश्य: भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए वैश्विक केंद्र बनाना।
- लक्ष्य: इसका लक्ष्य 2030 तक 5 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) की ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता हासिल करना है।
- कार्यान्वयन मंत्रालय: केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय।
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- ग्रीन हाइड्रोजन
- हाइड्रोजन मिशन
Articles Sources
ब्रैस पैराडॉक्स (Braess’s Paradox)
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि बेंगलुरु की टनल रोड और डबल-डेकर रोड योजनाएं ब्रैस पैराडॉक्स का उदाहरण हो सकती हैं।
ब्रैस पैराडॉक्स के बारे में
- इस सिद्धांत के अनुसार यदि किसी नेटवर्क की क्षमता बढ़ाई जाती है और उपयोगकर्ता स्वार्थपूर्ण तरीके से मार्ग चुनते हैं, तो कुछ मामलों में समग्र प्रदर्शन कम हो सकता है।
- ऐसा इस कारण, क्योंकि ये उपाय अधिक ट्रैफिक आकर्षित कर सकते हैं। इससे यातायात और बढ़ जाता है तथा योजना के वांछित उद्देश्य प्रभावित होते हैं।
- इस पैराडॉक्स को समझना जरूरी है, क्योंकि कोलकाता और बेंगलुरु जैसे शहर गंभीर ट्रैफिक जाम की समस्या का सामना कर रहे हैं, जैसा कि “टॉम टॉम ट्रैफिक इंडेक्स” दर्शाता है।
- समाधान:
- शहरी परिवहन कार्य-नीति पर फिर से विचार करके सार्वजनिक परिवहन तंत्र में सुधार करना चाहिए।
- पैदल यात्रा, साइकिलिंग और सार्वजनिक परिवहन जैसे संधारणीय परिवहन साधनों को बढ़ावा देना चाहिए।
- Tags :
- टॉम टॉम ट्रैफिक इंडेक्स
भोपाल गैस त्रासदी के अपशिष्ट का निपटान
हाल ही में, मध्य प्रदेश के धार जिले के पीथमपुर क्षेत्र में 1984 की भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े 10 टन अपशिष्ट के निपटान का परीक्षण शुरू किया गया।
भोपाल गैस त्रासदी के बारे में
- यह दुर्घटना 1984 में यूनियन कार्बाइड संयंत्र से मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस के रिसाव से हुई थी।
- मिथाइल आइसोसाइनेट कार्बामेट कीटनाशकों के उत्पादन में एक रासायनिक मध्यवर्ती (Chemical Intermediate) के रूप में उपयोग होता है। यह मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक विषाक्त है।
- निपटान किए जा रहे अपशिष्ट में शामिल हैं:
- संयंत्र परिसर की दूषित मृदा,
- रिएक्टर के अवशेष,
- सेविन (Sevin) कीटनाशक के अवशेष,
- नेफ्थोल अवशेष,
- अर्ध-प्रसंस्कृत अपशिष्ट आदि।
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- भोपाल गैस त्रासदी
- मिथाइल आइसोसाइनेट
- कार्बाइड
शेंदुर्नी वन्यजीव अभयारण्य
शेंदुर्नी वन्यजीव अभयारण्य से जंपिंग स्पाइडर की दो नई प्रजातियां खोजी गई।
शेंदुर्नी वन्यजीव अभयारण्य
- अवस्थिति: पश्चिमी घाट (केरल)।
- यह अगस्त्यमाला बायोस्फीयर रिजर्व का हिस्सा है। इसका नाम स्थानिक प्रजाति, ग्लूटा ट्रैवनकोरिका के नाम पर रखा गया है। ग्लूटा को स्थानीय रूप से "चेंकुरिंज" के नाम से जाना जाता है।
- इसकी सीमा तमिलनाडु के कलक्कड़ मुंडनतुरै टाइगर रिजर्व और नेल्लै वन्यजीव अभयारण्य के साथ लगती है।
- प्रमुख नदियां: शेंदुर्नी, कज़ुथुरुट्टी और कुलथुपुझा।
- वन के प्रकार: मिरिस्टिका दलदली वन।
- जीव-जंतु: हाथी, गौर, सांभर, जंगली भालू, मालाबार जायंट गिलहरी, नीलगिरी लंगूर, शेर-पूंछ मकैक आदि।
- Tags :
- शेंदुर्नी वन्यजीव अभयारण्य
प्रोटॉन एक्सचेंज मेम्ब्रेन फ्यूल सेल्स (PEMFC)
एडवांस्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मैटेरियल्स (ARCI) ने टेलीकॉम टावर्स के लिए मोबाइल PEMFC-आधारित बैकअप पावर सॉल्यूशन पेश किया है।
प्रोटॉन एक्सचेंज मेम्ब्रेन फ्यूल सेल्स (PEMFC) के बारे में
- कार्य सिद्धांत: इसमें एक इलेक्ट्रोकेमिकल अभिक्रिया शामिल होती है। इस अभिक्रिया में हाइड्रोजन गैस को एनोड में प्रवाहित किया जाता है। अब हाइड्रोजन के अणु टूटकर प्रोटॉन में बदल जाते हैं और एक विशेष पॉलीमर झिल्ली (मेम्ब्रेन) के माध्यम से कैथोड तक पहुंचते हैं। वहां ये ऑक्सीजन से अभिक्रिया कर बिजली और पानी उत्पन्न करते हैं।
- महत्त्व:
- इसे बिजली जाने पर डीजल जेनरेटर की जगह इस्तेमाल किया जा सकता है।
- यह स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देता है और कार्बन फुटप्रिंट को कम करता है।
- पर्यावरण के अनुकूल: इसमें उप-उत्पाद के रूप में केवल जल वाष्प के साथ बिजली उत्पन्न होती है।
- Tags :
- प्रोटॉन एक्सचेंज मेम्ब्रेन
- फ्यूल सेल्स
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सोमनाथ मंदिर
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की।
सोमनाथ मंदिर के बारे में
- अवस्थिति: यह गुजरात के सौराष्ट्र में वेरावल के पास प्रभास पाटन में स्थित है।
- इतिहास: इस मंदिर को आक्रमणकारियों द्वारा कई बार नष्ट किया गया था। पहली बार 1297 में महमूद गजनवी ने इसे नष्ट किया था।
- स्थापत्यकला: वर्तमान मंदिर हिंदू मंदिर स्थापत्यकला की चालुक्य शैली में निर्मित है। मंदिर का अंतिम बार पुनर्निर्माण 1951 में कराया गया था।
- धार्मिक महत्त्व:
- यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से प्रथम है।
- स्थान: त्रिवेणी संगम (तीन नदियों- कपिला, हिरण और सरस्वती का संगम)।
- Tags :
- सोमनाथ मंदिर
- गुजरात
- चालुक्य शैली