इस दौरान प्रधान मंत्री ने वनाग्नि और मानव-वन्यजीव संघर्ष की समस्याओं से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी (जैसे रिमोट सेंसिंग, AI आदि) के उपयोग तथा विविध संस्थानों के बीच सहयोग पर बल दिया। इन संस्थानों में भारतीय वन्यजीव संस्थान, भारतीय वन सर्वेक्षण, BISAG-N आदि शामिल हैं।
राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय:
- पहली नदी डॉल्फिन अनुमान रिपोर्ट जारी की गई। इसके तहत देश में कुल 6,327 नदी डॉल्फिन होने का अनुमान लगाया गया है।
- सबसे अधिक संख्या: उत्तर प्रदेश>बिहार>पश्चिम बंगाल>असम।
- जूनागढ़ में वन्यजीवों के लिए राष्ट्रीय रेफरल केंद्र की आधारशिला रखी गई। यह वन्यजीवों के स्वास्थ्य एवं रोग प्रबंधन के क्षेत्र में कार्य करेगा।
- मानव-वन्यजीव संघर्ष से निपटने के लिए, कोयंबटूर में सलीम अली पक्षी विज्ञान एवं प्राकृतिक इतिहास केंद्र (SACON) में उत्कृष्टता केंद्र का निर्माण किया जाएगा।
- प्रधान मंत्री ने 2025 में एशियाई शेरों की आबादी के 16वें आकलन की शुरुआत की घोषणा की। ध्यातव्य है कि इस तरह का अंतिम कार्य 2020 में किया गया था।
- मध्य प्रदेश के गांधी सागर अभयारण्य और गुजरात के बन्नी घास के मैदानों में चीतों को पुनः बसाने संबंधी परियोजनाओं का विस्तार किया जाएगा।
- घड़ियालों की घटती आबादी के संदर्भ में घड़ियालों के संरक्षण हेतु एक नई परियोजना शुरू करने की भी घोषणा की गई। साथ ही, प्रधान मंत्री ने ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के संरक्षण की दिशा में किए गए प्रयासों की प्रशंसा भी की।
- बर्दा वन्यजीव अभयारण्य में एशियाई शेरों के संरक्षण के लिए शिकार (हिरण आदि) में वृद्धि और पर्यावास में सुधार हेतु प्रयास किए जाएंगे।
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