एक अमेरिकी फर्म को भारत में परमाणु रिएक्टर स्थापित करने की मंजूरी मिली | Current Affairs | Vision IAS
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एक अमेरिकी फर्म को भारत में परमाणु रिएक्टर स्थापित करने की मंजूरी मिली

Posted 31 Mar 2025

14 min read

संयुक्त राज्य अमेरिका ने होलटेक इंटरनेशनल नामक एक अमेरिकी कंपनी को भारत में परमाणु रिएक्टर डिजाइन और निर्माण करने की अनुमति दी है। यह मंजूरी ‘10CFR810’ नामक अमेरिकी प्रतिबंधात्मक विनियम के तहत दी गई है। यह विनियम परमाणु तकनीक के हस्तांतरण को नियंत्रित करता है।

  • यह होलटेक को तीन भारतीय निजी कंपनियों को अवर्गीकृत स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) तकनीक हस्तांतरित करने की अनुमति देता है। मंजूरी 10 वर्षों तक के लिए वैध होगी और हर 5 साल में इसकी समीक्षा की जाएगी।
  • इस तकनीक का उपयोग अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के सुरक्षा उपायों के अधीन केवल ‘शांतिपूर्ण परमाणु गतिविधियों’ के लिए किया जाएगा। इसका किसी भी सैन्य उद्देश्य के लिए उपयोग नहीं किया जा सकेगा।

इस अनुमति का महत्त्व:

  • भारत-अमेरिका 123 समझौते (2008) की प्रगति: यह समझौता परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग बढ़ाने के लिए किया गया है। 
  • भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते (2008) को मजबूत करना: इससे भारत में वाणिज्यिक परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा मिलेगा।
  • निजी क्षेत्रक की भागीदारी को बढ़ावा देना: इससे भारत की निजी कंपनियों को SMRs विकसित करने का अवसर मिलेगा। इससे भारत की परमाणु क्षमता बढ़ेगी।
  • भारत की परमाणु विशेषज्ञता को बढ़ाना: यह स्वदेशी SMR विनिर्माण को बढ़ावा देगा और वैश्विक SMR बाजार में भारत की भूमिका को मजबूती प्रदान करेगा।

परमाणु क्षेत्रक में निजी क्षेत्रक की भागीदारी के समक्ष चुनौतियां

  • परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010: यह कानून विदेशी कंपनियों को भारत के परमाणु क्षेत्रक में निवेश करने पर पाबंदी लगाता है।
  • परमाणु ऊर्जा अधिनियम 1962: यह केवल राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों को ही परमाणु ऊर्जा उत्पादन की अनुमति देता है। यह कानून निजी कंपनियों को स्वतंत्र रूप से परमाणु ऊर्जा संयंत्र संचालित करने की अनुमति नहीं देता है।

स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR)

  • ये उन्नत परमाणु रिएक्टर हैं, जिनकी विद्युत उत्पादन क्षमता 300 मेगावाट (MW) प्रति यूनिट तक होती है।
  • लाभ:
    • कम ईंधन की आवश्यकता: SMR-आधारित विद्युत संयंत्रों को हर 3 से 7 साल में ईंधन की जरूरत होती है, जबकि पारंपरिक परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को हर 1 से 2 साल में ही ईंधन की आवश्यकता पड़ जाती है।
    • अनुकूलनशीलता: SMR को अधिक या कम बिजली की आपूर्ति के अनुसार व्यवस्थित किया जा सकता है। इससे यह विविध ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है।
    • सुरक्षा सुविधाएं: SMR डिजाइनों में निष्क्रिय सुरक्षा सुविधाओं का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, जिससे ये अधिक सुरक्षित होते हैं।
      • “पैसिव सेफ्टी" या "निष्क्रिय सुरक्षा" उन सुरक्षा सुविधाओं को संदर्भित करती है, जो स्वचालित रूप से काम करती हैं। इसमें उपयोगकर्ता द्वारा किसी भी कार्रवाई की आवश्यकता नहीं होती है। 
  • Tags :
  • परमाणु ऊर्जा
  • परमाणु रिएक्टर
  • भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते
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