तमिलनाडु के कलपक्कम में स्थित यह संयंत्र भारत के तीन चरणों वाले परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के दूसरे चरण का आरंभ करेगा।
फास्ट ब्रीडर रिएक्टर के बारे में
- उत्पत्ति: 2003 में, सरकार ने प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (PFBR) के निर्माण और संचालन के लिए भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम लिमिटेड (BHAVINI) की स्थापना की थी।
- इससे पहले प्रथम चरण का कार्यान्वयन भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (NPCIL) द्वारा किया गया था।
- फास्ट-ब्रीडर परमाणु रिएक्टर की कार्यप्रणाली:
- इसमें ईंधन के तौर पर देश में उत्पादित यूरेनियम-प्लूटोनियम मिश्रित ऑक्साइड (MOX) का और कूलेंट के रूप में तरल सोडियम का उपयोग किया जाता है।
- इसमें ईंधन कोर के चारों ओर मौजूद यूरेनियम-238 का ‘आवरण’ न्यूक्लियर ट्रांसम्यूटेशन की प्रक्रिया से गुजरता है जिससे और अधिक ईंधन का उत्पादन होगा। इसलिए इसे “ब्रीडर” कहा जाता है।
फास्ट-ब्रीडर रिएक्टर (FBR) का महत्व
- तीसरे चरण का मार्ग प्रशस्त: यह रिएक्टर थोरियम-232 जैसे गैर-विखंडनीय पदार्थ को विखंडनीय यूरेनियम-233 में बदलकर तीसरे चरण के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की नींव रखता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से, भविष्य में तीसरे चरण के लिए आवश्यक यूरेनियम-233 ईंधन तैयार किया जाता है।
- तकनीकी उन्नति: रूस के बाद भारत वाणिज्यिक तौर पर FBR का संचालन करने वाला दूसरा देश बन जाएगा।
- परमाणु अपशिष्ट में कमी: इसमें चरण-I के तहत उपयोग किए जा चुके ईंधन का उपयोग किया जाता है।
- थोरियम भंडार का उपयोग: भारत में थोरियम का विशाल भंडार मौजूद है। इसकी शुरुआत से ईंधन के आयात में कमी आएगी।
भारत का तीन चरणों वाला परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम
- डॉ. होमी जे. भाभा को भारत के परमाणु कार्यक्रम का जनक माना जाता है। उन्होंने 1950 के दशक में तीन-चरणीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम तैयार किया था। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत के सीमित यूरेनियम संसाधनों और प्रचुर थोरियम भंडार का सर्वोत्तम उपयोग सुनिश्चित करना था।
