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ऑटोनोमस सैटेलाइट्स अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के नए युग की शुरुआत हुई

Posted 27 May 2025

12 min read

कई देश ऑटोनोमस सैटेलाइट्स के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

  • 2024 में, चीन ने दुनिया के पहले “ऑटोनोमस सैटेलाइट” को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। ये उपग्रह ग्राउंड स्टेशन आधारित हस्तक्षेपों के बिना स्वायत्त रूप से उड़ान पथ को बनाए रख सकते हैं या उसे बदल सकते हैं।

ऑटोनोमस सैटेलाइट के बारे में

  • ये उपग्रह कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों और एल्गोरिदम का उपयोग करके न्यूनतम या बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के अपना कार्य करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
    • ये प्रौद्योगिकियां उपग्रहों को एक निष्क्रिय पर्यवेक्षकों से सक्रिय और विचारशील मशीनों में तब्दील कर रही हैं।
  • उपग्रह में मौजूद इंटेलिजेंस को सैटेलाइट एज कंप्यूटिंग कहा जाता है। यह उपग्रह को अपने परिवेश का विश्लेषण करने और निर्णय लेने में सक्षम बनाता है।

प्रमुख उपयोग 

  • स्वचालित अंतरिक्ष परिचालन: इनका उपयोग डॉकिंग, निरीक्षण, कक्षा में ईंधन भरने और मलबा हटाने जैसे कार्यों के लिए अंतरिक्ष में स्वतंत्र रूप से कार्य करने हेतु किया जा सकता है।
  • स्व-निदान और मरम्मत: ये उपग्रह अपनी स्थिति की निगरानी कर गड़बड़ी की पहचान करके मानवीय हस्तक्षेप के बिना स्वयं मरम्मत कर सकते हैं।
  • उड़ान पथ निर्धारित करना: ये खतरों और बाधाओं से बचने या ईंधन बचाने के लिए कक्षीय प्रक्षेप पथ को आवश्यकतानुसार समायोजित कर सकते हैं।
  • स्थानीय भू-स्थानिक जानकारी जुटाना: पृथ्वी की कक्षा से वास्तविक समय में आपदाओं और अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का पता लगाने तथा महत्वपूर्ण क्षेत्रों को प्राथमिकता देने के लिए अन्य उपग्रहों के साथ जानकारी को साझा करने में मदद मिल सकती है।
  • युद्ध या संघर्ष के दौरान सहयोग: ये वास्तविक समय में खतरे की पहचान कर सकते हैं तथा सीधे कक्षा से ऑटोनोमस रूप से टारगेट की ट्रैकिंग कर सकते हैं और उसे नष्ट करना सक्षम बनाते हैं।

ऑटोनोमस सैटेलाइट से जुड़ी प्रमुख चिंताएं

  • AI संबंधी भ्रम: यह किसी उपग्रह को खतरे के रूप पहचानने में गलती कर सकता है। इससे उपग्रहों के बीच आकस्मिक टकराव का खतरा उत्पन्न हो सकता है।
    • AI संबंधी भ्रम एक ऐसी घटना है, जिसमें AI सिस्टम गलत धारणा बनाता है। यह तब होता है, जब AI कोई ऐसे पैटर्न या ऑब्जेक्ट को पहचानता है, जो वास्तव में मौजूद ही नहीं होता है। 
  • अंतरिक्ष संबंधी कानूनों में मौजूद खामियां: मौजूदा संधियां (जैसे बाह्य अंतरिक्ष संधि 1967, देयता अभिसमय 1972 आदि) उपग्रहों और अन्य अंतरिक्ष मिशनों पर मानव नियंत्रण को मानक बनाती हैं। 
  • अन्य: साइबर खतरा, आदि। 
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  • AI संबंधी भ्रम
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