इसका उद्देश्य हितधारक के प्रतिनिधित्व में सुधार करना, अनुपालन को सरल बनाना और समाधान प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाना है।
इनसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्ट्सी बोर्ड ऑफ़ इंडिया (IBBI) द्वारा संशोधन
- कॉरपोरेट इनसॉल्वेंसी रेजोल्यूशन प्रोसेस (CIRP) के लिए संशोधित फॉर्म: इनसॉल्वेंसी प्रोफेशनल्स (IPs) पर अनुपालन बोझ कम होगा और एक मानकीकृत मासिक रिपोर्टिंग चक्र शुरू किया जाएगा।
- CIRP क्या है?
- यह एक प्रक्रिया है, जिसमें देखा जाता है कि डिफॉल्टर (ऋण नहीं चुकाने वाली) कंपनी अपना ऋण चुकाने में सक्षम है या नहीं। अगर नहीं है, तो कंपनी को पुनर्गठित किया जाता है या परिसमापन (लिक्विडेशन) किया जाता है।
- कौन शुरू कर सकता है CIRP?
- फाइनेंशियल क्रेडिटर,
- ऑपरेशनल क्रेडिटर,
- या स्वयं कंपनी।
- CIRP क्या है?
- रेजोल्यूशन प्लान में लोचशीलता: रेजोल्यूशन प्रोफेशनल्स को न केवल संपूर्ण कंपनी के लिए बल्कि इसकी एक या अधिक परिसंपत्तियों की बिक्री के लिए भी रेजोल्यूशन प्लान आमंत्रित करने की अनुमति दी गई है।
- इससे अलग-अलग क्षेत्रकों में परिसंपत्तियां रखने वाली कंपनियों का रेजोल्यूशन आसान होगा तथा क्षेत्रक-विशिष्ट खरीदार भी मिल सकेंगे।
- ऋणदाताओं की समिति (CoC), रेजोल्यूशन प्रोफेशनल्स को निर्देश दे सकती है कि वह अंतरिम वित्त प्रदाताओं को मतदान के अधिकार के बिना, पर्यवेक्षक के रूप में उपस्थित होने के लिए आमंत्रित करे।
- इनसॉल्वेंसी प्रोफेशनल्स के लिए दिशा-निर्देश: 1 जुलाई से 31 दिसंबर 2025 तक के लिए एक साझा क्षेत्रवार (zone-wise) पैनल बनाया जाएगा, ताकि NCLT (राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण) और DRT (ऋण वसूली अधिकरण) में इनसॉल्वेंसी प्रोफेशनल्स (IPs) की नियुक्तियों में होने वाली देरी को कम किया जा सके।
इनसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्ट्सी कोड (IBC), 2016 के बारे में
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