भारत-जर्मनी संबंध | Current Affairs | Vision IAS
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Posted 29 May 2025

37 min read

भारत-जर्मनी संबंध

भारत और जर्मनी रणनीतिक साझेदारी की 25वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।

भारत और जर्मनी के मध्य संबंधों के बारे में

  • राजनयिक संबंध: भारत प्रथम विश्व युद्ध के बाद जर्मनी के साथ संबंध स्थापित करने वाले आरंभिक देशों में शामिल था।
  • रणनीतिक साझेदारी: वर्ष 2000 से शुरू हुई।
  • आर्थिक संबंध: जर्मनी, यूरोप में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
    • हरित विकास: जर्मनी ने भारत-जर्मन हरित एवं संधारणीय विकास साझेदारी (GSDP) के तहत, भारत के ग्रीन ट्रांजिशन को समर्थन देने के लिए 10 बिलियन यूरो के ऋण और अनुदान देने की प्रतिबद्धता जाहिर की है।
  • वैश्विक सहयोग: भारत और जर्मनी G-4 समूह के तहत मिलकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सुधारों का समर्थन करते हैं।
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  • भारत-जर्मनी संबंध
  • संधारणीय विकास साझेदारी

डार्क फैक्ट्रियां

हाल ही में, TCS के चेयरमैन ने IT और बिजनेस सेवाओं में ‘डार्क फैक्ट्रियों’ के भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डाला है।

डार्क फैक्ट्री के बारे में

  • इन्हें लाइट्स-आउट फैक्ट्रियों के नाम से भी जाना जाता है। ये पूरी तरह से स्वचालित फैसिलिटी होती हैं जहां रोबोट, AI-संचालित प्रणालियां और IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) डिवाइस सभी उत्पादन प्रक्रियाओं को संभालते हैं।
  • इन्हें बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के 24/7 संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। उदाहरण के लिए फैन्युक (जापान), सीमेंस (जर्मनी)।
  • लाभ: इसमें कार्यकुशलता में वृद्धिलागत में कमी, बेहतर स्केलेबिलिटीश्रम से संबंधित मुद्दों जैसे कार्यबल का अभाव, कार्यस्थल पर सुरक्षा को लेकर कम चिंता आदि शामिल हैं।
  • चुनौतियां: इसमें उच्च प्रारंभिक और रखरखाव लागत, फ्लेक्सिबिलिटी की कमी, नौकरी का नुकसान, तकनीकी खराबियों से उत्पादन बाधित होना, साइबर सुरक्षा जोखिम आदि शामिल हैं।
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  • डार्क फैक्ट्रियां

बैटरी आधार

हाल ही में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के तहत बैटरी शिखर सम्मेलन 2025 में बैटरी आधार पहल शुरू की गई।

  • टाटा एलेक्साई ने अपने मोबियस+ प्लेटफॉर्म पर निर्मित बैटरी आधार का प्रौद्योगिकी प्रदर्शन प्रस्तुत किया। यह एक डिजिटल प्रोडक्ट पासपोर्ट के रूप में कार्य करता है, जिससे बैटरी संबंधी विशेषताओं को रियल टाइम में दर्ज करता है।

बैटरी आधार पहल के बारे में

  • इसके अंतर्गत प्रत्येक बैटरी पैक को एक विशिष्ट डिजिटल पहचान दी जाएगी।
  • लाभ:
    • बैटरी का स्रोत (मैन्युफैक्चरिंग ओरिजिन), केमिस्ट्री, सुरक्षा सर्टिफिकेशन और लाइफ-साइकल प्रदर्शन को ट्रैक किया जा सकेगा।
    • चार्ज-डिस्चार्ज साइकिल जैसे जरूरी मापदंडों की निगरानी होगी, जिससे पूर्वानुमान आधारित रखरखाव और कुशल रिसाइकलिंग संभव होगी।
    • यह नकली उत्पादों के प्रसार को रोकने, उपभोक्ता विश्वास को बढ़ाने और सर्कुलर इकोनॉमी संबंधी पहलों का समर्थन करने के लिए एक विनियामक साधन के रूप में कार्य करेगा।
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  • बैटरी आधार
  • बैटरी शिखर सम्मेलन

WMO वैश्विक वार्षिक से दशकीय क्लाइमेट अपडेट 2025-2029

विश्व मौसम विज्ञान संगठन और यू.के. मौसम विज्ञान कार्यालय ने WMO वैश्विक वार्षिक से दशकीय क्लाइमेट अपडेट 2025-2029 जारी किया।

रिपोर्ट के मुख्य अंश

  • वर्षण के पैटर्न एशिया, भारत और उप-सहारा अफ्रीका में सामान्य से अधिक आर्द्र स्थिति को दर्शाते हैं।
  • 86% संभावना यह है कि अगले पांच वर्षों में से कम-से-कम एक वर्ष का तापमान 1850-1900 के औसत से 1.5°C अधिक होगा।
  • मानसून में वार्षिक आधार पर अत्यधिक परिवर्तनशीलता। दक्षिण एशियाई क्षेत्र में असामान्य रूप से अधिक वर्षा हुई है और पूर्वानुमान के अनुसार, यह प्रवृत्ति 2025-2029 की अवधि तक जारी रहेगी।
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  • दशकीय क्लाइमेट अपडेट
  • मौसम विज्ञान कार्यालय

बो इको (Bow Echo)

दिल्ली में हाल ही में आए तेज़ तूफान ने एक अजीब आकृति ली जो कि आधे चाँद या तीर-कमान जैसी दिखती थी, जिसे “बो इको (Bow Echo)” कहा जाता है।

बो इको के बारे में

  • यह एक रडार पर दिखने वाला सिग्नल होता है, जो यह बताता है कि बहुत तेज हवाओं वाला तूफान आ रहा है। जब तेज हवाएं तूफान की रेखा (storm line) के बीच के हिस्से को आगे की तरफ धकेलती हैं, तो वह धनुष (bow) जैसी आकृति बना लेती है।
  • यह मूलतः तूफानों की रेखा (इसे स्क्वॉल लाइन भी कहा जाता है) रडार पर धनुष की तरह दिखती है।
  • यह आमतौर पर कई तूफानों के समूह से बनता है, लेकिन कभी-कभी एक अकेले शक्तिशाली सुपरसेल तूफान से भी शुरू हो सकता है।
  • यह भविष्य में आने वाले और विनाशकारी तूफानों का संकेत हो सकता है।
  • बो इको 20 किमी से 100 किमी तक विस्तारित हो सकता है, तथा तीन से छह घंटे तक सक्रिय रह सकता है।
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  • बो इको
  • स्क्वॉल लाइन

कालानमक चावल

उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘कालानमक चावल’ (जिसे ‘बुद्ध चावल’ भी कहा जाता है) को बौद्ध बहुल देशों में निर्यात करने की योजना बनाई है।

कालानमक चावल के बारे में 

  • इसे 2013 में GI टैग मिला था। 
  • यह एक परंपरागत, खुशबूदार, गैर-बासमती किस्म है और पौष्टिकता से भरपूर है।
  • यह मुख्य रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश, खासकर सिद्धार्थनगर जिले में उगाई जाती है। इसे एक जिला एक उत्पाद (ODOP) के तहत भी मान्यता प्राप्त है।
  • इसे संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा दुनिया के ख़ास चावलों में शामिल किया गया है।
  • चावल की इस किस्म को बौद्ध काल (600 ईसा पूर्व) से उगाया जा रहा है। अलीगढ़वा खुदाई में इसके दाने मिले हैं।
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  • एक जिला एक उत्पाद
  • कालानमक चावल
  • बुद्ध चावल

कुंभकोणम वेत्रिलाई

कुंभकोणम वेत्रिलाई (या पान के पत्ते) को हाल ही में भारत सरकार द्वारा भौगोलिक संकेत (GI) टैग दिया गया है, जो इसकी क्षेत्रीय विशेषता और सांस्कृतिक महत्व को मान्यता देता है। 

  • अप्रैल 2025 तक उत्तर प्रदेश के पास सबसे ज्यादा GI टैग वाले उत्पाद हैं, उसके बाद तमिलनाडु का स्थान आता है।

कुंभकोणम वेत्रिलाई के बारे में

  • यह मुख्य रूप से तंजावुर के उपजाऊ कावेरी नदी बेसिन के कुंभकोणम क्षेत्र में उगाया जाता है, जिससे इसमें से एक खास स्वाद और खुशबू आती है।
  • विशेषताएं: यह पत्ते गहरे से हल्के हरे रंग केहृदय के आकार के होते हैं और इनका स्वाद तीखा होता है।
  • पान के पत्ते पाचन में मदद करते हैं और इनमें एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं।
  • इनमें चेविकोल नामक एक एंटी-इंफ्लेमेटरी (सूजन रोधी) तत्व पाया जाता है, जो ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करता है। यह डायबिटीज जैसी बीमारियों में आम होता है।
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  • GI टैग
  • कुंभकोणम वेत्रिलाई
  • एंटी-इंफ्लेमेटरी

पद्म पुरस्कार

कुल 139 प्रतिष्ठित व्यक्तियों (अप्रैल में प्रथम नागरिक अलंकरण समारोह के दौरान 71 और मई में दूसरे समारोह में 68) को राष्ट्रपति द्वारा पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया

पद्म पुरस्कारों के बारे में

  • ये भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक है।
  • यह कोई उपाधि नहीं है इनका प्रयोग पुरस्कार विजेता अपने नाम के साथ प्रत्यय या उपसर्ग के रूप में नहीं कर सकते हैं।
  • 1954 में स्थापित, वर्ष 1978, 1979 और 1993-1997 के दौरान व्यवधानों को छोड़कर हर वर्ष गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर इसकी घोषणा की जाती है। इन पुरस्कारों का वितरण 1954 में आरंभ किया गया था हर साल गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर इनकी घोषणा की जाती हैं। 1978, 1979 और 1993-1997 में इन्हें कुछ वर्षों के लिए नहीं दिया गया था।
  • इसमें 3 श्रेणियां शामिल हैं:
    • पद्म विभूषण: असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए;
    • पद्म भूषण: उच्च कोटि की विशिष्ट सेवा के लिए;
    • पद्मश्री: विशिष्ट सेवा के लिए।
  • पात्रता: सभी नागरिक पात्र हैं (सरकारी कर्मचारी पात्र नहीं होते, केवल डॉक्टर और वैज्ञानिकों को इसके अपवाद के रूप में शामिल किया गया है)।
  • पुरस्कारों की सिफारिश हर साल प्रधान मंत्री द्वारा गठित "पद्म पुरस्कार समिति" करती है।
  • पुरस्कारों की कुल संख्या: कुल पुरस्कारों की संख्या 120 से अधिक नहीं हो सकती (मरणोपरांत, प्रवासी भारतीयों, विदेशियों और OCI को दिए गए पुरस्कारों की संख्या को छोड़कर)।
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  • पद्म पुरस्कार
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