अध्यादेश का उद्देश्य गिग वर्कर्स की सुरक्षा के लिए मौजूद खामियों को दूर करना है।
- सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 में गिग वर्कर्स को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है, जो पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध से बाहर किसी व्यवस्था में काम करता है।
- उन्हें मोटे तौर पर प्लेटफ़ॉर्म (जैसे ज़ोमैटो) और गैर-प्लेटफ़ॉर्म-आधारित वर्कर्स में वर्गीकृत किया गया है।
- नीति आयोग के अनुसार भारत में गिग वर्कर्स और प्लेटफॉर्म वर्कर्स की संख्या 2020-21 में 7.7 मिलियन थी। इसके 2029-30 तक बढ़कर 23.5 मिलियन होने की उम्मीद है।
अध्यादेश की मुख्य विशेषताएं
- कल्याण बोर्ड: राज्य स्तर पर ‘कल्याण बोर्ड’ की स्थापना की जाएगी।
- कल्याण शुल्क: जोमैटो, ओला, स्विगी, अमेज़ॅन जैसे एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म गिग वर्कर्स के साथ किए गए प्रत्येक लेन-देन पर 1 से 5 प्रतिशत तक कल्याण शुल्क का भुगतान करेंगे।
- कल्याण शुल्क कल्याण कोष में जमा किया जाएगा, जिसमें वर्कर्स का योगदान और सरकारी अनुदान भी शामिल होगा।
- अन्य विशेषताएं: यह वर्कर्स की अनुचित बर्खास्तगी के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। साथ ही, सभी प्लेटफॉर्म्स पर वैध विशिष्ट आई.डी. तथा प्लेटफॉर्म्स द्वारा तैनात स्वचालित निगरानी और निर्णय लेने वाली प्रणालियों के संबंध में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।
गिग वर्कर्स के समक्ष चुनौतियां: सामाजिक सुरक्षा का अभाव, एल्गोरिदम प्रबंधन, नौकरी की अनिश्चित प्रकृति, सामाजिक सुरक्षा का अभाव, आदि।
भारत में गिग वर्कर्स के लिए की गई अन्य पहलें
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