भारत और जापान एक संधारणीय एवं पारस्परिक रूप से लाभकारी भविष्य के लिए समुद्री संबंधों को गहन करने पर सहमत हुए हैं।
समुद्री सहयोग के प्रमुख क्षेत्र
- स्मार्ट आइलैंड्स: अंडमान निकोबार और लक्षद्वीप को निम्नलिखित के माध्यम से ‘स्मार्ट आइलैंड्स’ में परिवर्तित किया जाएगा:
- स्थायी प्रौद्योगिकियां (नवीकरणीय ऊर्जा, स्मार्ट मोबिलिटी आदि);
- आपदा-रोधी अवसंरचना; और
- डिजिटल कनेक्टिविटी, इत्यादि।
- समुद्री सहयोग और निवेश: भारत जापान के जहाज निर्माण के अनुभव तथा बंदरगाहों और समुद्री औद्योगिक क्लस्टरों के सह-विकास से लाभ उठा सकता है।
- भारत का लक्ष्य जापान के साथ 2027 तक 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हासिल करना है।
- भारत आंध्र प्रदेश में इमाबारी शिपबिल्डिंग में ग्रीनफील्ड निवेश की भी योजना बना रहा है।
- समुद्री विरासत और सांस्कृतिक सहयोग: भारत ने गुजरात के लोथल में प्रस्तावित राष्ट्रीय समुद्री विरासत संग्रहालय (NMHC) के विकास के लिए जापान से सहयोग की इच्छा प्रकट की है।
- NMHC का उद्देश्य भारत के समृद्ध समुद्री इतिहास और विरासत को प्रदर्शित करना है। यह समुद्री क्षेत्रक में विरासत पर्यटन, शिक्षा और अनुसंधान के लिए एक विश्व स्तरीय केंद्र के रूप में कार्य करेगा।
- मानव संसाधनों का कौशल विकास: भारत के लगभग 1.54 लाख प्रशिक्षित नाविक जापान के समुद्री कार्यबल के रूप में कार्य कर सकते हैं।
भारत-जापान समुद्री सहयोग का महत्त्व
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