भारत-जापान 15वें वार्षिक शिखर सम्मेलन में भारत और जापान ने अगले दशक के लिए संयुक्त विज़न की घोषणा की। इसमें द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने के लिए एक रोडमैप तैयार किया गया है। इस विज़न के तहत जापान ने भारत में एक दशक में 10 ट्रिलियन येन के निवेश का लक्ष्य रखा है।
शिखर सम्मेलन के प्रमुख परिणाम
- अगले दशक के लिए भारत-जापान संयुक्त विज़न: यह आठ क्षेत्रकों- आर्थिक साझेदारी, आर्थिक सुरक्षा, गतिशीलता, प्रौद्योगिकी और नवाचार आदि में एक 10-वर्षीय रणनीतिक फ्रेमवर्क है।
- सुरक्षा सहयोग पर संयुक्त घोषणा-पत्र: इसमें रक्षा और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए एक व्यापक फ्रेमवर्क शामिल है। इसके तहत आर्थिक सुरक्षा पहल भी शुरू की गई है।
- भारत-जापान मानव संसाधन विनिमय के लिए कार्य योजना: इसके तहत पांच वर्षों में 500,000 लोगों (जिनमें 50,000 कुशल और अर्द्ध-कुशल भारतीय) शामिल हैं, के दो-तरफा आवागमन को बढ़ावा दिया जाएगा। इसे नेक्स्ट जनरेशन मोबिलिटी पार्टनरशिप भी कहा जा रहा है।
- संयुक्त क्रेडिटिंग तंत्र पर सहयोग: इसका उद्देश्य भारत में जापानी निवेश और भारत के सतत विकास को बढ़ावा देना है।
- भारत-जापान डिजिटल साझेदारी 2.0: इसे AI जैसे भविष्य के तकनीकी क्षेत्रों में सहयोग और संयुक्त अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया है। इसके तहत भारत-जापान AI पहल की शुरुआत की गई है।
- अन्य: दोनों देशों ने खनिज संसाधन, संयुक्त चंद्र ध्रुवीय अन्वेषण मिशन, स्वच्छ हाइड्रोजन और अमोनिया (सतत ईंधन पहल), सांस्कृतिक आदान-प्रदान, घरेलू अपशिष्ट जल प्रबंधन आदि क्षेत्रकों में समझौता ज्ञापन (MoUs) पर हस्ताक्षर किए।
जापान-भारत संबंधों का महत्त्व
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