भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की यह एसेट मोनेटाइजेशन रणनीति “परिसंपत्ति मुद्रीकरण योजना 2025-30” के अनुरूप तैयार की गई है। NHAI के इस कदम से विकास को नई गति मिलेगी।
रणनीति के मुख्य प्रावधान
- उद्देश्य: इस रणनीति का मुख्य उद्देश्य चालू राष्ट्रीय राजमार्ग परिसंपत्तियों से पैसा जुटाना और भारत में अवसंरचना विकास के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) में वृद्धि करना है।
- रणनीति के तीन मुख्य स्तंभ: राष्ट्रीय राजमार्ग परिसंपत्तियों से अधिक से अधिक पैसा जुटाना; प्रक्रियाओं में पारदर्शिता लाना; और बाजार विकास।
- पूंजी जुटाने के तीन तरीके: टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर (ToT), इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (InvIT) और सिक्योरिटाइजेशन मॉडल।
- टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर (ToT): इस मॉडल के तहत रियायतधारी (Concessionaire) एकमुश्त राशि सरकार को अदा करता है, जिसके बदले उसे चयनित सड़कों का संचालन और रखरखाव करने का अधिकार मिल जाता है। रियायत की निर्धारित अवधि के दौरान वह इन सड़कों पर टोल शुल्क की वसूली करता है और मुनाफा कमाता है।
- इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (InvIT): यह एक तरीके से म्यूचुअल फंड के समान है। इसमें आम जनता या संस्थागत निवेशक अवसंरचना परियोजनाओं में सीधे निवेश कर सकते हैं।
- InvIT से होने वाली आय, जैसे- टोल कलेक्शन, रेंट, ब्याज अथवा डिविडेंड निवेशकों को नियमित रूप से वितरित की जाती है।
- भारत में InvIT की शुरुआत वर्ष 2014 में हुई थी। इसका विनियमन भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी/ SEBI) द्वारा किया जाता है।
- सिक्योरिटाइजेशन मॉडल: सिक्योरिटाइजेशन या प्रतिभूतिकरण वह प्रक्रिया है जिसमें कुछ प्रकार की परिसंपत्तियों को एक पूल (समूह) में रखा जाता है। फिर इस पूल को “ब्याज देने वाली प्रतिभूतियों” में बदल दिया जाता है।
- निवेशकों को इन प्रतिभूतियों से नियमित रूप से ब्याज और मूलधन का भुगतान किया जाता है।
एसेट मोनेटाइजेशन या परिसंपत्ति मुद्रीकरण के बारे में![]()
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