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लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि संसदीय समितियां “संसदीय लोकतंत्र की रीढ़ हैं” | Current Affairs | Vision IAS
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लोक सभा अध्यक्ष ने कहा कि संसदीय समितियां “संसदीय लोकतंत्र की रीढ़ हैं”

Posted 30 Aug 2025

1 min read

लोक सभा अध्यक्ष ने उपर्युक्त टिप्पणी संसद और राज्य विधान-मंडलों की अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण समितियों के अध्यक्षों के राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर की। 

संसदीय समितियों की भूमिका

  • पक्षपात-रहित कार्यप्रणाली सुनिश्चित करना और आम-सहमति बनाना: इन समितियों में विपक्षी दल सहित अलग-अलग राजनीतिक दलों के सदस्य शामिल होते हैं। इससे विभिन्न मुद्दों पर सर्वदलीय आम सहमति बन पाती है।
  • अलग अलग क्षेत्रकों के विशेषज्ञों का लाभ मिलना: जैसे स्वास्थ्य संबंधी समिति ने सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2016 का अध्ययन किया।
  • सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करना: जैसे- 2024 में लोक लेखा समिति ने चार मंत्रालयों द्वारा किए गए अतिरिक्त व्यय पर सवाल किए। 
  • विकास के मुद्दों पर ध्यान देना: जैसे- ग्रामीण विकास समिति ने पंचायती राज संस्थाओं के लिए लगातार घटते बजटीय आवंटन पर चिंताएं व्यक्त की।
  • विधेयकों की त्रुटियों को उजागर करके संसद द्वारा पारित कानून को सशक्त बनाना: जैसे- व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 को संयुक्त संसदीय समिति की सिफारिशों के आधार पर संशोधित किया गया था।

संसदीय समितियों की कार्यप्रणाली में चुनौतियां

  • विधेयकों को समितियों के पास भेजना अनिवार्य नहीं: समितियों के विचारार्थ भेजे गए विधेयकों का प्रतिशत घट रहा है। उदाहरण के लिए: 15वीं लोक सभा में 71%, 16वीं  लोक सभा में 28% और, 17वीं लोक सभा में केवल 16% विधेयक संसदीय समितियों के विचार के लिए भेजे गए थे।
  • अल्प भागीदारी: समिति की बैठकों में सांसदों की उपस्थिति लगभग 50% होती है, जो संसद सत्रों की 84% उपस्थिति से भी कम है।
  • विशेषज्ञ और शोध आधारित सहयोग का अभाव: संसदीय समितियों में अक्सर कर्मचारियों की कम संख्या देखी जाती है। इन समितियों में पूर्णकालिक तकनीकी विशेषज्ञ भी कम होते हैं। इन्हें अलग-अलग विषयों पर शोध आधारित सहयोग भी नहीं मिल पाता है।

सुधार के लिए उठाए जाने वाले कदम

  • विधेयकों को भेजना अनिवार्य करना: विधेयकों को पारित होने से पहले समितियों के पास विचार करने के लिए भेजना अनिवार्य किया जा सकता है, जैसे कि यूनाइटेड किंगडम में व्यवस्था है।
  • पारदर्शिता बढ़ानी चाहिए: समिति की कुछ सिफ़ारिशों को अस्वीकार करने के कारण स्पष्ट किए जाने चाहिए।
  • शोध आधारित सहयोग प्रदान करना चाहिए: संसदीय समितियों को विशेषज्ञ सलाहकार रखने की अनुमति दी जानी चाहिए, ताकि किसी विषय की गहन जांच-पड़ताल की जा सके।  
  • Tags :
  • Parliamentary Committee
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