ED ने पीड़ितों को 34,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि लौटाने में भी मदद की है।
उच्च दोषसिद्धि और धन वापसी का महत्त्व
- यह PMLA और ED की जांच प्रक्रियाओं के अधिक प्रभावी होने को दर्शाता है।
- यह दर्शाता है कि ED केवल अपराधियों को दंडित करने में ही नहीं, बल्कि पीड़ितों को क्षतिपूर्ति दिलाने में भी अहम भूमिका निभा रहा है।
ED के समक्ष चुनौतियां
- उच्च दोषसिद्धि दर वास्तव में उन मामलों की कम संख्या पर आधारित है, जिनकी सुनवाई पूरी हो चुकी है। अभी भी बड़ी संख्या में मामले लंबित हैं। ऐसे में ED द्वारा मामलों को निपटाने की दक्षता पर सवाल उठते हैं।
- ED तथा दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (IBC) के बीच कई बार टकराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। दरअसल कई बार ED, PMLA के तहत कार्रवाई करते हुए, किसी ऐसी कंपनी की संपत्तियों को कुर्क करने का प्रयास करता है, जो IBC के तहत कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) से गुजर रही होती है।
- साइबर धोखाधड़ी और ऑनलाइन सट्टेबाजी जैसी अत्याधुनिक तकनीकों से जुड़े अपराधों से निपटने में ED को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) के बारे में
- मुख्यालय: दिल्ली में।
- स्थापना: 1956 में
- किसके तहत: केंद्रीय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के तहत।
- किन कानूनों को लागू करने का दायित्व:
- धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA): यह धन शोधन को रोकने वाला आपराधिक कानून है और आपराधिक गतिविधियों से अर्जित संपत्ति को जब्त करने की शक्ति प्रदान करता है।
- विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (FEMA): यह विदेशी मुद्रा विनियमन के उल्लंघनों से निपटने वाला एक सिविल कानून है।
- भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 (FEOA): यह आर्थिक अपराध से जुड़े ऐसे भगोड़ों से निपटने के लिए बनाया गया कानून है, जो भारतीय न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र से बाहर रहकर कानूनी प्रक्रिया से बचते हैं।
- अधिकार: तलाशी और संपत्ति की जब्ती; किसी भी व्यक्ति को समन जारी करना, गिरफ्तार करना और मुकदमा चलाना आदि।