इन चार पश्चिमी देशों के साथ अब संयुक्त राष्ट्र के 140 से अधिक सदस्य हो गए हैं, जिन्होंने फिलिस्तीन को राज्य के रूप में मान्यता दी है।
- भारत ने 1988 में ही फिलिस्तीन को राज्य के रूप में मान्यता दे दी थी।
- हाल ही में, भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में “न्यूयॉर्क घोषणा-पत्र” के पक्ष में मतदान किया था। यह घोषणा-पत्र फिलिस्तीन-इजरायल विवाद के शांतिपूर्ण समाधान और "दो-राष्ट्र समाधान" के कार्यान्वयन की बात करता है।
राज्यों की मान्यता
- जब कोई देश किसी अन्य अधिकार क्षेत्र को राज्य के रूप में स्वीकार करता है, तो इसे "मान्यता" (Recognition) कहा जाता है।
- राज्य के अधिकारों और कर्तव्यों पर 1933 के मोंटेवीडियो कन्वेंशन का अनुच्छेद 1 राज्य का दर्जा प्राप्त करने के मानदंडों को परिभाषित करता है। ये मानदंड हैं-
- स्थायी जनसंख्या; निश्चित भू-क्षेत्र; सरकार; अन्य राज्यों से संबंध स्थापित करने की क्षमता आदि।
- राज्य की मान्यता के प्रभाव:
- मान्यता मिलने के बाद वह अन्य राज्यों के साथ राजनयिक संबंध स्थापित कर सकता है।
- वह अन्य राज्यों के साथ संधियां कर सकता है।
- उसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राज्य के अधिकार और विशेषाधिकार मिलते हैं।
- वह संयुक्त राष्ट्र संगठन (UNO) का सदस्य बन सकता है।
- फिलिस्तीन वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र का “स्थायी पर्यवेक्षक राज्य” (Permanent Observer State) है, न कि पूर्ण सदस्य।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता
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