रिपोर्ट का शीर्षक है- “क्रैडल टू ग्रेव: द हेल्थ टोल ऑफ फॉसिल फ्यूल्स एंड द इम्पेरेटिव फॉर ए जस्ट ट्रांज़िशन”। रिपोर्ट में बताया गया है कि जीवाश्म ईंधन केवल पर्यावरण के लिए ही खतरा नहीं हैं, बल्कि यह एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात की स्थिति भी हैं।
जीवाश्म ईंधन के स्वास्थ्य पर प्रभाव
- जीवाश्म ईंधन से होने वाला प्रदूषण जीवन के हर चरण को प्रभावित करता है: जीवाश्म ईंधनों से होने वाला प्रदूषण गर्भ में पल रहे शिशु से लेकर बुजुर्गों तक सभी पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। इससे दमा (Asthma), कैंसर, हृदय रोग जैसी बीमारियां होती हैं।
- जीवाश्म ईंधन के उपयोग का प्रत्येक चरण: जीवाश्म ईंधन के खनन, शोधन, परिवहन, दहन और अपशिष्ट निपटान के प्रत्येक चरण में जहरीले प्रदूषक निकलते हैं, जो पारिस्थितिकी तंत्र एवं मानव स्वास्थ्य दोनों को नुकसान पहुंचाते हैं।
- उत्खनन से बेंजीन, भारी धातुएं और रेडियोधर्मी तत्व निकलते हैं।
- रिफाइनिंग और प्रोसेसिंग से टोल्यून, वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOCs) आदि निकलते हैं।
- लीगेसी प्रदूषण का खतरा: पुराने त्याग दिए गए खनन स्थलों से होने वाला "लीगेसी प्रदूषण" लंबे समय तक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक बना रहता है। ऐसा इस कारण क्योंकि जहरीले तत्व जैसे- सीसा, पारा और PFAS (फॉरएवर केमिकल्स) मिट्टी, पानी एवं खाद्य पदार्थों में लंबे समय तक बने रहते हैं। ये बार-बार शरीर में जमा होकर और भी ज़्यादा नुकसान करते हैं।
- हाशिए पर मौजूद समूह, जैसे देशज लोग और नस्लीय अल्पसंख्यक, खदानों एवं रिफाइनरियों के पास रहते हैं। इसके कारण वे अधिक प्रदूषण झेलते हैं और साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में बाधाओं का भी सामना करते हैं।
जस्ट ट्रांजीशन के लिए नीतिगत सुझाव
- नई खोजों को रोकना: जीवाश्म ईंधनों वाले नए स्थलों की खोज और प्रोजेक्ट बंद किए जाने चाहिए। साथ ही, सब्सिडी को धीरे-धीरे खत्म किया जाना चाहिए और बची हुई राशि को स्वास्थ्य व स्वच्छ ऊर्जा पर खर्च किया जाना चाहिए
- सख्त विनियमन और निगरानी: लिगेसी प्रदूषण को हटाने के लिए सख्त कानून बनाए जाने चाहिए तथा वास्तविक समय (Real-time) पर निगरानी सुनिश्चित की जानी चाहिए।
- प्रदूषक से लागत वसूलना: "प्रदूषक ही भुगतान करेगा" (Polluter Pays) सिद्धांत के तहत स्वास्थ्य पर पड़ने वाले खर्च को जिम्मेदार कंपनियों से वसूला जाना चाहिए।
- वैश्विक संस्थाओं का सहयोग: अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों और स्वास्थ्य क्षेत्रक को जलवायु एवं लोक स्वास्थ्य लक्ष्यों से जोड़ा जाना चाहिए।