भारत का पण्य व्यापार स्थिर होने से विनिर्माण निर्यात मजबूत हुआ | Current Affairs | Vision IAS
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अपेक्षित प्रोत्साहन योजनाओं और सुधारों से विनिर्माण क्षेत्र की स्थिरता और वृद्धि को बढ़ावा मिल रहा है, जिससे भारत वैश्विक व्यापार में प्रभावी भूमिका निभा रहा है।

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अप्रैल–अगस्त 2025 में पण्य निर्यात 2.52% बढ़कर 184.13 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 179.60 बिलियन डॉलर था।

विनिर्माण क्षेत्रक का प्रदर्शन

  • संवृद्धि की तीव्र गति: जुलाई 2025 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में वर्ष-दर-वर्ष 3.5% की वृद्धि हुई है। इसमें मुख्य योगदान विनिर्माण क्षेत्रक का रहा है, जिसकी वृद्धि दर 5.4% रही है। 
  • बेहतर कारोबारी परिवेश: HSBC इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स’ इंडेक्स (PMI) अगस्त 2025 में 59.3 पर पहुंच गया, जो पिछले 17 सालों में सबसे तेज वृद्धि है।
  • निवेश संबंधी विश्वास: वित्त वर्ष 2024-25 में विनिर्माण क्षेत्रक में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में 18% की वृद्धि दर्ज की गई।

विनिर्माण क्षेत्रक के विकास का इंजन

  • इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्रक का प्रभुत्व: भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल विनिर्माता है। पिछले 11 सालों में मोबाइल उत्पादन 6 गुना और निर्यात 8 गुना बढ़ा है।
    • आयातित मोबाइल फोन पर निर्भरता 2014-15 के 75% से घटकर 2024-25 में 0.02% हो गई।
  • फार्मास्यूटिकल्स (विश्व की फार्मेसी): यह उद्योग मात्रा के हिसाब से विश्व में तीसरे स्थान पर है और वैश्विक वैक्सीन मांग के 50% से अधिक की आपूर्ति करता है।
  • ऑटोमोबाइल क्षेत्रक: यह देश की GDP में 7.1% का योगदान देता है और विश्व का चौथा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल उत्पादक है।
  • वस्त्र उद्योग: कृषि के बाद यह रोजगार देने वाला दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्रक है और GDP में लगभग 2.3% का योगदान करता है। इसमें कार्य करने वाली लगभग 80% इकाइयां MSME श्रेणी की हैं, जो समावेशी विकास सुनिश्चित करती हैं। 

विनिर्माण क्षेत्रक को बढ़ावा देने के लिए सरकार की पहलें और नीतियां

  • उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना: यह 14 महत्वपूर्ण क्षेत्रकों को कवर करती है एवं अतिरिक्त उत्पादन के आधार पर प्रोत्साहन देती है।
  • राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन (NMM): इसे केंद्रीय बजट 2025–26 में घोषित किया गया है। यह लंबे समय के लिए औद्योगिक नीति का रोडमैप प्रदान करता है।
  • स्किल इंडिया प्रोग्राम: इसे नए ढंग से तैयार कर 2026 तक बढ़ाया गया है। इसका उद्देश्य तकनीक-सक्षम व मांग के हिसाब से कुशल कर्मचारी तैयार करना है।
  • GST 2.0 सुधार: इन सुधारों से टैक्स सिस्टम आसान हुआ है और GST घटने से विनिर्माण लागत कम हुई है, जिससे निर्यात प्रतिस्पर्धी हुआ है।
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