चीन में विश्व का सबसे बड़ा न्यूट्रिनो डिटेक्टर सक्रिय हो गया है। इसे जियांगमिन भूमिगत न्यूट्रिनो वेधशाला (JUNO) नाम दिया गया है।
- यह वेधशाला 700 मीटर की गहराई में स्थित है।
- अधिकांश न्यूट्रिनो वेधशालाएं इसलिए भूमिगत बनाई जाती हैं, ताकि पृथ्वी की सतह कणों को रोक सके। इससे म्यूऑन्स जैसे कणों से होने वाले हस्तक्षेप को कम किया जा सकता है। म्यूऑन्स एक प्रकार के प्राथमिक उप-परमाण्विक कण हैं, जो इलेक्ट्रॉन के समान होते हैं।
- JUNO के मुख्य उद्देश्य:
- द्रव्यमान क्रम (Mass Hierarchy) निर्धारित करना: इसका एक लक्ष्य तीन प्रकार के न्यूट्रिनो (इलेक्ट्रॉन न्यूट्रिनो, म्यूऑन न्यूट्रिनो और टाउ न्यूट्रिनो) के बीच द्रव्यमान के क्रम को निर्धारित करना है। ये सभी अपने-अपने संबंधित अणुओं से जुड़े रहते हैं।
- दोलन आवृत्ति (Oscillation Frequency) को मापना: इसका उद्देश्य न्यूट्रिनो के दोलन की आवृत्ति को मापना है, यानी यह पता लगाना कि न्यूट्रिनो कितनी बार एक प्रकार से दूसरे प्रकार में बदलते हैं।
न्यूट्रिनो के बारे में
- प्रकृति: ये उप-परमाण्विक कण हैं। इन्हें अक्सर 'घोस्ट पार्टिकल्स भी कहा जाता है। इनमें कोई विद्युत आवेश नहीं होता, इनका द्रव्यमान अत्यंत कम या शून्य भी हो सकता है।
- उपस्थिति: ये फोटॉन (प्रकाश के कण) के बाद दूसरे सबसे प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले कण हैं। साथ ही, ये ब्रह्मांड में सबसे प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले ऐसे कण हैं, जिनका द्रव्यमान होता है।
- पता लगाना: इनका पता लगाना मुश्किल होता है, क्योंकि ये केवल कमजोर परमाणु बल और गुरुत्वाकर्षण के माध्यम से ही पदार्थ के साथ अंतर्क्रिया करते हैं।
- विशेषताएं: ये सबसे शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र से भी अप्रभावित रहते हैं। ये अपने स्रोत से लगभग प्रकाश की गति से और सीधी रेखाओं में गमन करते हैं।
अन्य प्रमुख न्यूट्रिनो वेधशालाएं
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