केंद्र ने ‘राष्ट्रीय जल सुरक्षा पहल’ शुरू की | Current Affairs | Vision IAS
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भारत सरकार ने जल सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए मनरेगा में संशोधन किया, जिससे 1.25 करोड़ से अधिक परिसंपत्तियां निर्मित हुईं, देश भर में भूजल पुनर्भरण, नदी पुनरुद्धार और सतत जल प्रबंधन को बढ़ावा मिला।

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इस पहल के तहत महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA), 2005 की अनुसूची में संशोधन किया गया है और जल सुरक्षा को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाया गया है।

  • यह संशोधन मनरेगा की धारा 29 की उपधारा (1) द्वारा केंद्र सरकार को प्रदत्त शक्तियों के अंतर्गत किया गया है।
  • MGNREGA योजना के तहत, अब तक 1.25 करोड़ से अधिक जल संरक्षण परिसंपत्तियां (जैसे कि खेत तालाब, चेक डैम और सामुदायिक तालाब) निर्मित की गई हैं।

पहल की मुख्य विशेषताएं 

  • उद्देश्य: भूजल स्तर को बढ़ाना, नदियों का कायाकल्प करना और संधारणीय जल प्रबंधन सुनिश्चित करना।
  • MGNREGA के तहत जल संरक्षण कोष का अनिवार्य आवंटन:
    • गंभीर जल संकट से ग्रसित या क्रिटिकल ब्लॉक्स (90-100% जल निष्कर्षण): 65% फंड जल-संबंधी कार्यों पर खर्च होगा।
    • सेमी-क्रिटिकल ब्लॉक्स (70-90% निष्कर्षण): 40% फंड।
    • सुरक्षित ब्लॉक्स (≤70% निष्कर्षण): 30% फंड।
  • भूजल मूल्यांकन: ब्लॉक्स को केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) द्वारा डायनेमिक ग्राउंड वाटर रिसोर्सेज असेसमेंट रिपोर्ट (2024) के आधार पर वर्गीकृत किया गया है।
    • वितरण: क्रिटिकल (3.05%); सेमी-क्रिटिकल (10.54%); अति-दोहित (11.13%); सुरक्षित (73.39%); तथा लवणीय (1.88%)।

पहल का महत्त्व 

  • इसमें 'जल संकट के बाद कार्रवाई' की बजाय 'जल संकट को रोकने वाले पूर्व-उपायों' पर बल दिया गया है।
  • यह सुनिश्चित करती है कि मनरेगा संसाधनों को जल की सबसे अधिक आवश्यकता वाले क्षेत्रों में लक्षित किया जाए।
  • यह ग्रामीण विकास, पशुधन, कृषि और पर्यावरणीय संधारणीयता का समर्थन करती है।

जल संरक्षण के अन्य प्रयास

  • मिशन अमृत सरोवर: देश के प्रत्येक जिले में 75 जलाशयों का निर्माण और पुनरुद्धार करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • अटल भूजल योजना: यह जल-संकटग्रस्त क्षेत्रों के लिए सामुदायिक भागीदारी पर आधारित भूजल प्रबंधन योजना है। इसे केंद्र सरकार और विश्व बैंक ने मिलकर शुरू किया है।
  • राष्ट्रीय जलभृत मानचित्रण (NAQUIM) परियोजना: इसके तहत केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) द्वारा लगभग 25 लाख वर्ग किमी क्षेत्र का मानचित्रण पूरा किया गया है।
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