सुप्रीम कोर्ट ने राजेंद्र बिहारी लाल बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य मामलों में यह कहा कि निजता का अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अभिन्न अंग है।
धार्मिक स्वतंत्रता और निजता के अधिकार के बीच क्या संबंध है?
- निजता और धर्म के बीच प्रत्यक्ष संबंध: सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला है कि संविधान के अनुच्छेद 25 में अंतःकरण की और धर्म की अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता में निजता का घटक भी शामिल है।
- अनुच्छेद 25 में आस्था को चुनने का अधिकार और उस आस्था को व्यक्त करने या न व्यक्त करने की स्वतंत्रता भी शामिल है।
- किसी की व्यक्तिगत आस्था का प्रकाशन और घोषणा करना अनुच्छेद 25 व 21 के तहत निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
- विविध राज्यों द्वारा बनाए गए विभिन्न धर्मांतरण कानूनों की अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा जांच की जा रही है। इन कानूनों को निजता की कसौटी पर भी खरा उतरना अनिवार्य है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई अन्य टिप्पणियां
- पंथनिरपेक्षता: सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने दोहराया कि प्रस्तावना में 'पंथनिरपेक्ष' शब्द संविधान की मूल संरचना का एक अभिन्न हिस्सा है।
- सुप्रीम कोर्ट द्वारा उल्लेख किये गए पिछले निर्णय
- के.एस. पुट्टास्वामी मामला: निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, जो विशेष रूप से अनुच्छेद 21 और समग्र रूप से भाग III के अंतर्गत संरक्षित है।
- शफीन जहान बनाम अशोकन के.एम. मामला: इसके तहत आस्था और विवाह से जुड़ी पसंद में व्यक्तिगत स्वायत्तता को बरकरार रखा गया।