सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले के माध्यम से सद्गुरु जग्गी वासुदेव के व्यक्तित्व अधिकारों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के जरिए वेबसाइट्स और प्लेटफॉर्म्स द्वारा दुरुपयोग से सुरक्षित किया।
अन्य संबंधित तथ्य
- इस दौरान हाईकोर्ट ने AI टूल्स के दुरुपयोग से किसी व्यक्ति की आवाज और चेहरे के हाव-भाव की हूबहू नकल करने वाले डीपफेक पर चिंता जताई। इन टूल्स का किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व अधिकारों का हनन करने के लिए उपयोग किया जा रहा है।
- इससे न केवल किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा और निजता को खतरा होता है, बल्कि सार्वजनिक हस्तियों के तो आर्थिक हितों पर भी असर पड़ता है। ऐसा इस कारण क्योंकि, उनका चेहरा और नाम अक्सर किसी उत्पाद या उद्देश्य को प्रचारित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
व्यक्तित्व अधिकारों के बारे में
- व्यक्तित्व अधिकार किसी व्यक्ति के अपने व्यक्तिगत गुणों जैसे नाम, छवि, आवाज़, शक्ल-सूरत, और विशिष्ट हाव-भाव या लक्षणों के अनधिकृत उपयोग को नियंत्रित करने के अधिकार होते हैं।
- इन अधिकारों में वाणिज्यिक और गैर-वाणिज्यिक दोनों पहलू शामिल हैं।
- भारत में किसी भी कानून में व्यक्तित्व अधिकारों का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया गया है।
- व्यक्तित्व अधिकारों के घटक:
- पब्लिसिटी का अधिकार (Right of Publicity): यह किसी व्यक्ति की छवि आदि को बिना उसकी अनुमति या संविदात्मक मुआवजे के व्यावसायिक रूप से दुरुपयोग होने से बचाने के अधिकार से संबंधित है।
- यह अधिकार ट्रेड मार्क्स अधिनियम, 1999 और कॉपीराइट अधिनियम, 1957 जैसे कानूनों द्वारा आंशिक व अप्रत्यक्ष रूप से शासित होता है।
- निजता का अधिकार (Right to Privacy): इसमें किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व को बिना उसकी अनुमति के सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित न करने का अधिकार शामिल है।
- निजता का अधिकार मोटे तौर पर संविधान के अनुच्छेद 21 और न्यायमूर्ति के. एस. पुट्टास्वामी (सेवानिवृत्त) मामले (2017) में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के तहत शासित होता है।
- पब्लिसिटी का अधिकार (Right of Publicity): यह किसी व्यक्ति की छवि आदि को बिना उसकी अनुमति या संविदात्मक मुआवजे के व्यावसायिक रूप से दुरुपयोग होने से बचाने के अधिकार से संबंधित है।
- भारत में मरणोपरांत व्यक्तित्व अधिकार: भारत में मरणोपरांत व्यक्तित्व अधिकारों को स्पष्ट रूप से किसी कानून में मान्यता नहीं दी गई है।
- प्रतीक और नाम (अनुचित उपयोग की रोकथाम) अधिनियम {Emblems and Names (Prevention of Improper Use) Act}, 1950 इस अधिनियम की अनुसूची में सूचीबद्ध कुछ गणमान्य व्यक्तियों (जैसे महात्मा गांधी, प्रधान मंत्री आदि) के नामों और प्रतीकों के अनधिकृत उपयोग पर रोक लगाता है।
- दीपा जयकुमार बनाम ए. एल. विजय मामला (2019): मद्रास हाई कोर्ट ने निर्णय दिया कि किसी व्यक्ति की मृत्यु के साथ ही उसके व्यक्तित्व अधिकार, प्रतिष्ठा या निजता भी समाप्त हो जाते हैं। इसके अलावा, उस व्यक्ति के व्यक्तित्व अधिकार उसके कानूनी उत्तराधिकारियों को विरासत में नहीं मिल सकते हैं।
भारत में व्यक्तित्व अधिकारों पर महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय
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निष्कर्ष
विशिष्ट कानून का अभाव और बौद्धिक संपदा कानूनों के तहत अपर्याप्त सुरक्षा, व्यक्तित्व अधिकारों के प्रवर्तन में एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। AI द्वारा निर्मित फेक कंटेंट की सक्रिय निगरानी और रोकथाम के लिए एक व्यापक कानूनी ढांचा और सरकारी एजेंसियों का सशक्तीकरण समय की मांग है।