सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित इसरो के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में 'तीसरे लॉन्च पैड' (TLP) की स्थापना को मंजूरी दे दी है।
तीसरे लॉन्च पैड' (TLP) के बारे में

- प्रमुख विशेषताएं: इसे अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान (Next Generation Launch Vehicles: NGLV) और प्रक्षेपण यान मार्क-3 (Launch Vehicle Mark-3: LVM3) के प्रक्षेपण के लिए कॉन्फ़िगर किया गया। इसमें अर्ध क्रायोजेनिक चरण के साथ-साथ NGLV की उन्नत विशेषताएं भी शामिल हैं।
- समय-सीमा: इसे 4 वर्षों के भीतर स्थापित किया जाएगा।
- तीसरे लॉन्च पैड (TLP) का महत्त्व
- क्षमता वृद्धि: इससे अधिक बार प्रक्षेपण किए जा सकेंगे। साथ ही, इससे भविष्य के मानव अंतरिक्ष उड़ान एवं अंतरिक्ष अन्वेषण मिशनों आदि के लिए भारत की प्रक्षेपण क्षमता मज़बूत होगी।
- भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का समग्र दृष्टिकोण: 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) और 2040 तक भारतीय चालक दल के साथ चंद्रमा पर लैंडिंग के लिए नई प्रणोदन प्रणालियों के साथ अगली पीढ़ी के भारी प्रक्षेपण वाहनों की आवश्यकता होगी।
- भावी परिवहन: आगामी 25-30 वर्षों के लिए विकसित हो रही अंतरिक्ष परिवहन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भी यह अत्यंत आवश्यक है।
भारत में मौजूदा लॉन्च पैड
- वर्तमान में, इसरो श्रीहरिकोटा में स्थित 2 लॉन्च पैड पर निर्भर है:
- प्रथम लॉन्च पैड (First Launch Pad) को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (Polar Satellite Launch Vehicle: PSLV) और लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (Small Satellite Launch Vehicle: SSLV) के लिए प्रक्षेपण सहायता प्रदान करने हेतु स्थापित किया गया था।
- दूसरा लॉन्च पैड (Second Launch Pad) मुख्य रूप से भू-तुल्यकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle: GSLV) और प्रक्षेपण यान मार्क-3 (Launch Vehicle Mark-3: LVM3) के लिए स्थापित किया गया था। साथ ही, यह PSLV के लिए स्टैंडबाय के रूप में भी कार्य करता है।
निष्कर्ष
अगली पीढ़ी के भारी श्रेणी के प्रक्षेपण यानों (Next Generation Launch Vehicles) के लिए तीसरे लॉन्च पैड का शीघ्र निर्माण और SLP के लिए एक बैकअप के रूप में इसका उपयोग अत्यंत आवश्यक है, ताकि अंतरिक्ष परिवहन की बदलती जरूरतों को पूरा किया जा सके।
नई पीढ़ी के प्रक्षेपण यान (NGLV) कार्यक्रम
इसरो के अन्य प्रक्षेपण यान
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