हालिया वर्षों में, भारत ने यूनाइटेड किंगडम, यूरोपीय मुक्त व्यापार संगठन (EFTA), ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के साथ भी इसी तरह के मुक्त व्यापार समझौते (FTA) सफलतापूर्वक संपन्न किए हैं।
भारत-ओमान CEPA की मुख्य विशेषताएं
- बाजार पहुंच: वर्तमान के 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए,
- ओमान भारतीय वस्तुओं को लगभग 98% टैरिफ लाइनों (मूल्य के हिसाब से 99.38%) पर शून्य-शुल्क पहुंच प्रदान करेगा।
- भारत ने अपनी लगभग 78% टैरिफ लाइनों पर उदारीकरण की पेशकश की है। इसमें डेयरी, चाय, कॉफी और रबड़ जैसे संवेदनशील उत्पादों को बाहर रखा गया है।
- सेवाएं और निवेश क्षेत्रक: ओमान के प्रमुख सेवा क्षेत्रकों में भारतीय कंपनियों के लिए 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति दी गई है।
- पारंपरिक चिकित्सा: लगभग सभी तरीकों से पारंपरिक चिकित्सा पर पहली बार प्रतिबद्धता जताई गई है। इससे खाड़ी देशों में भारत के आयुष (AYUSH) और आरोग्य क्षेत्रकों के लिए अवसर उत्पन्न होंगे।
- भारतीय पेशेवरों के आवागमन में सुगमता: इसमें कुशल पेशेवरों के लिए कोटा बढ़ाना और उनके प्रवेश करने व अस्थायी रूप से ठहरने के नियमों को उदार बनाना शामिल है।
- गैर-टैरिफ बाधाएं: यह समझौता व्यापार में आने वाली गैर-टैरिफ बाधाओं को भी दूर करता है।
भारत इतने FTAs क्यों कर रहा है?
- निर्यात विविधीकरण: व्यापक आर्थिक स्थिरता के लिए नए बाजार खोजना आवश्यक है, क्योंकि 2024 में भारत की जीडीपी में निर्यात की हिस्सेदारी 21.2% थी।
- FDI को आकर्षित करना: वर्ष 2000-2022 के दौरान भारत के FDI इक्विटी अंतर्वाह में FTA भागीदारों का योगदान लगभग 30% रहा है।
- कच्चे माल, तकनीक, कौशल और पूंजीगत वस्तुओं तक वहनीय पहुंच के लिए FDIs महत्वपूर्ण है।
- सेवा क्षेत्रक की क्षमता का लाभ उठाना: उदाहरण के लिए- ओमान के सेवा क्षेत्रक संबंधी आयात में भारत की हिस्सेदारी केवल 5.31% है, जो अप्रयुक्त क्षमताओं को दर्शाती है।
- वैश्विक आघातों के खिलाफ लचीलापन: ये समझौते अमेरिकी टैरिफ जैसे वैश्विक आघातों के बीच स्वायत्तता प्रदान करते हैं।
निर्यात बढ़ाने के लिए भारत द्वारा उठाए गए अन्य कदम
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