हाल ही में, केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत राजस्व विभाग ने भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) को धन-शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act: PMLA), 2002 की धारा 66 के अंतर्गत शामिल करने के लिए अधिसूचना जारी की।
- इससे I4C को प्रवर्तन निदेशालय (ED) तथा कानून लागू करने वाली अन्य एजेंसियों के साथ सूचना साझा करने और प्राप्त करने में मदद मिलेगी। इससे साइबर क्षेत्र से जुड़े वित्तीय अपराधों के खिलाफ देश की लड़ाई को मजबूत किया जा सकेगा।
PMLA अधिनियम, 2002 की धारा 66 (सूचना को सार्वजनिक करना)
- धारा 66 प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक या उसके द्वारा अधिकृत किसी अन्य अथॉरिटी को किसी अन्य एजेंसी के साथ सूचना साझा करने का अधिकार देती है, ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके।
- उपर्युक्त अथॉरिटी उन सूचनाओं या जानकारियों को साझा कर सकती है, जो उसके पास उपलब्ध होगी। साथ ही, सूचना तभी साझा की जाएगी जब किसी अन्य कानून के प्रावधानों का उल्लंघन हुआ हो और आगे कार्रवाई की जरूरत हो।
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के बारे में
- इसे आधिकारिक तौर पर 2020 में गठित किया गया था। यह केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक पहल है। इसे देश में साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिए नोडल एजेंसी के रूप में स्थापित किया गया है।
- जुलाई 2024 में, इसे केंद्रीय गृह मंत्रालय का एक अनुलग्नक कार्यालय (Attached office) बनाया गया था।
- उद्देश्य: इस संस्था का उद्देश्य साइबर अपराध से समन्वित और व्यापक तरीके से निपटने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को व्यवस्थित एवं कुशल तंत्र प्रदान करना है।
- I4C की संरचना में निम्नलिखित शामिल हैं:
- नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP),
- नेशनल साइबर क्राइम थ्रेट एनालिटिक्स यूनिट (NCTAU),
- नेशनल साइबर क्राइम इकोसिस्टम मैनेजमेंट यूनिट (NCEMU),
- जॉइंट साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन टीम (JCCT), आदि।