QCI ने भारत के गुणवत्ता तंत्र को मजबूत करने के लिए अगली पीढ़ी के गुणवत्ता सुधारों की घोषणा की।
अगली पीढ़ी के गुणवत्ता सुधार
- Q मार्क – "देश का हक": यह एक नया QR-कोड आधारित गुणवत्ता मार्क है। इसके माध्यम से यह जांच की जा सकेगी कि कोई अस्पताल, लैब या लघु व्यवसाय वैध है या नहीं। यह फर्जी प्रमाण-पत्रों को समाप्त करने में मदद करेगा।
- क्वालिटी सेतु: यह एक नई ऑनलाइन हेल्प-डेस्क प्रणाली है। यहां आम नागरिक और व्यवसाय अपनी शिकायतें दर्ज करा सकते हैं या या फीडबैक दे सकते हैं। साथ ही, एक निश्चित समय-सीमा के भीतर उनका समाधान भी प्राप्त कर सकते हैं।
- क्वालिटी पासपोर्ट: इसे भारतीय उत्पादों के लिए लॉन्च किया जाएगा, ताकि उन्हें अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में बेहतर पहुंच मिल सके।
भारतीय गुणवत्ता परिषद (QCI) के बारे में
- स्थापना: यह भारत सरकार और भारतीय उद्योग जगत के संयुक्त सहयोग से संचालित है।
- पंजीकरण: यह सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत एक स्वायत्त गैर-लाभकारी संगठन है।
- नोडल एजेंसी: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT)।
- अध्यक्ष की नियुक्ति: उद्योग जगत की सिफारिश पर प्रधान मंत्री द्वारा की जाती है।
कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय ने PM-SETU योजना में भाग लेने के लिए उद्योगों को आमंत्रित किया।
PM-SETU योजना के बारे में
- पूरा नाम: प्रधान मंत्री स्किलिंग एंड एम्प्लॉयबिलिटी ट्रांसफॉर्मेशन थ्रू अपग्रेडेड ITIs.
- प्रकार: केंद्र प्रायोजित योजना (Centrally Sponsored Scheme) है।
- मंत्रालय: कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय
- योजना के दो मुख्य घटक
- घटक-I: 'हब-एंड-स्पोक' क्लस्टर मॉडल में 1,000 ITIs का उन्नयन करना।
- घटक-II: पांच राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थाओं (NSTIs) की क्षमता बढ़ाना और उनमें पांच राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्रों (NCOEs) की स्थापना करना।
- उन्नत ITIs का प्रबंधन: इनका प्रबंधन एक स्पेशल पर्पज व्हीकल (SPV) साझेदारी द्वारा किया जाएगा। इसमें 51% हिस्सेदारी उद्योग जगत के दिग्गजों की और 49% हिस्सेदारी सरकार की होगी।
- वित्तीय सहायता: इस योजना के लिए केंद्रीय हिस्से के 50% तक का सह-वित्तपोषण एशियाई विकास बैंक (ADB) और विश्व बैंक द्वारा किया जा रहा है।
भारतीय खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने खाद्य व्यवसायों को 'हर्बल इन्फ्यूजन' (हर्बल अर्क) को 'चाय' के रूप में लेबल करने के खिलाफ चेतावनी जारी की।
कैमेलिया साइनेंसिस (चाय) के बारे में
- सामान्य नाम: असम चाय, टी कैमेलिया, चाय का पौधा आदि।
- चाय के लिए कृषि-जलवायु परिस्थितियां:
- मृदा और जलवायु: चाय उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में अच्छी तरह से उगती है। इसके लिए गहरी, उपजाऊ और अच्छी जल निकासी वाली मृदा की आवश्यकता होती है, जो ह्यूमस और कार्बनिक पदार्थों से भरपूर हो।
- मौसम: चाय की झाड़ियों को वर्ष के अधिकांश समय उष्ण व आर्द्र पाला-मुक्त मौसम की आवश्यकता होती है।
- वर्षा: वार्षिक 2000-4000 मिमी की अच्छी तरह से वितरित वर्षा।
- तापमान: लगभग 13 से 32 डिग्री सेल्सियस।
- pH मान: मृदा का pH स्तर 4.5 - 5.5 के बीच होना चाहिए।
- स्थलाकृति: तरंगित (Undulating) स्थलाकृति और क्षेत्र की हल्की अम्लीय मृदा चाय के पौधों के लिए उपयुक्त होती है।
- प्रमुख उत्पादक राज्य: असम और पश्चिम बंगाल।
महाराष्ट्र के सोलापुर में बोरमणी घास के मैदान में भारत की सबसे बड़ी गोलाकार भूलभुलैया (Circular labyrinth) की खोज की गई।
- कालखंड: यह संरचना लगभग 2,000 वर्ष पुरानी है। इसका समय प्रथम से तीसरी शताब्दी ईस्वी (सातवाहन काल) के आसपास का माना जा रहा है।
- संरचना: इसमें 15 संकेंद्रित पत्थर के घेरे (Concentric stone circuits) हैं। भारत में अब तक पाई गई किसी भी गोलाकार भूलभुलैया में दर्ज यह घेरों की सबसे अधिक संख्या है।
- महत्त्व: इस संरचना का संबंध प्राचीन भारत-रोमन व्यापार से जोड़ा जा सकता है।
विधि और न्याय मंत्रालय ने पहली बार भारत के संविधान का संथाली भाषा में अनुवाद प्रकाशित किया।
- यह प्रकाशन पंडित रघुनाथ मुर्मू द्वारा 1925 में विकसित 'ओल चिकी' लिपि के जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर किया गया है। ओल चिकी का संथाली भाषा की लिपि के रूप में उपयोग किया जाता है।
संथाली भाषा के बारे में
- उत्पत्ति: यह मुंडा भाषा परिवार से संबंधित है, जो ऑस्ट्रिक (ऑस्ट्रो-एशियाई) भाषा परिवार का एक हिस्सा है।
- संवैधानिक दर्जा: इसे 92वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 के माध्यम से संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था। आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएं सूचीबद्ध हैं।
- जनसंख्या और क्षेत्र: संथाली बोलने वाले लोगों को 'संथाल' कहा जाता है। ये मुख्य रूप से झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और बिहार में निवास करते हैं।
Article Sources
1 sourceकिम्बर्ले प्रॉसेस (KP) के पूर्ण सत्र ने 1 जनवरी 2026 से भारत को किम्बर्ले प्रॉसेस की अध्यक्षता ग्रहण करने के लिए चुना।
किम्बर्ले प्रॉसेस (KP) के बारे में
- यह एक त्रिपक्षीय पहल है। इसमें सरकारें, अंतर्राष्ट्रीय हीरा उद्योग और नागरिक समाज शामिल हैं। इसका मुख्य उद्देश्य "कॉन्फ्लिक्ट डायमंड्स" के व्यापार को रोकना है।
- कॉन्फ्लिक्ट डायमंड्स: ये कच्चे या अपरिष्कृत हीरे (Rough Diamonds) होते हैं। इनका उपयोग विद्रोहियों या उनके सहयोगियों द्वारा वैध सरकारों को अस्थिर करने के उद्देश्य से सशस्त्र संघर्षों के वित्त-पोषण के लिए किया जाता है। इन्हें "ब्लड डायमंड्स" भी कहा जाता है।
- सदस्य: भारत और यूरोपीय संघ सहित इसमें 60 प्रतिभागी शामिल हैं। ये कच्चे हीरों के वैश्विक व्यापार का 99% से अधिक हिस्सा नियंत्रित करते हैं।
- कार्यप्रणाली: यह सख्त प्रमाणीकरण प्रोटोकॉल और अनुपालन मूल्यांकन लागू करके, यह सुनिश्चित करता है कि सभी प्रतिभागी देश उच्च मानकों को बनाए रखें जिससे कॉन्फ्लिक्ट डायमंड्स को अंतर्राष्ट्रीय बाजार से बाहर रखा जा सके।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने INS अरिघात से ‘पनडुब्बी से प्रक्षेपित की जाने वाली K-4 बैलिस्टिक मिसाइल’ का सफल परीक्षण किया।
- INS अरिघात अरिहंत-श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी है। ये स्वदेशी रूप से निर्मित परमाणु ऊर्जा से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां (SSBNs) हैं।
K-4 के बारे में
- प्रकार: K-4 या 'कलाम-4' परमाणु-सक्षम मध्यम दूरी की पनडुब्बी से प्रक्षेपित की जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) है।
- रेंज (दूरी): 3,500 किलोमीटर।
- महत्व: यह भारत की परमाणु त्रयी (Nuclear Triad) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह समुद्र के नीचे से देश को एक विश्वसनीय 'सेकंड-स्ट्राइक' प्रदान करती है।
- डिजाइन: इस मिसाइल को विशेष रूप से अरिहंत-श्रेणी की पनडुब्बियों, जैसे INS अरिहंत और INS अरिघात के लिए डिज़ाइन किया गया है।