वर्तमान में, ओडिशा के 24 तटीय गांवों को यूनेस्को (UNESCO) के सुनामी तैयारी मान्यता कार्यक्रम (TRRP) के तहत 'सुनामी के लिए तैयार' गांवों के रूप में मान्यता दी गई है। यह मान्यता राष्ट्रीय सुनामी तैयारी मान्यता बोर्ड (NTRB) द्वारा सत्यापन के आधार पर दी गई है।
- ‘सुनामी के लिए तैयार’ गांव (Tsunami-ready village): किसी गांव को 'सुनामी के लिए तैयार' तब प्रमाणित किया जाता है, जब वहां:
- सुनामी के बारे में उच्च जागरूकता हो;
- खतरे के खिलाफ तैयारी और मैपिंग की गई हो;
- निकासी हेतु मार्गदर्शक मानचित्रों (Evacuation maps) को सार्वजनिक स्थलों पर प्रदर्शित किया गया हो;
- 24 घंटे चेतावनी प्रणाली उपलब्ध हो;
- मॉक ड्रिल्स में नियमित भागीदारी हो आदि।
यूनेस्को-IOC सुनामी तैयारी मान्यता कार्यक्रम (TRRP) के बारे में
- TRRP का परिचय: यह यूनेस्को के अंतर-सरकारी समुद्र विज्ञान आयोग (UNESCO-IOC) का एक अंतर्राष्ट्रीय स्वैच्छिक समुदाय-आधारित प्रयास है। यह वैश्विक तटीय क्षेत्रों में जोखिम की रोकथाम और शमन को बढ़ावा देने का कार्य करता है।
- कार्यप्रणाली: इसमें लगातार मूल्यांकन के लिए 12 तैयारी संकेतक शामिल हैं। एक बार मान्यता मिलने के बाद, इसे प्रत्येक चार वर्षों में नवीनीकृत किया जाता है।
- भारत में कार्यान्वयन एजेंसी: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा स्थापित NTRB इसे लागू करता है।
- NTRB का अध्यक्ष भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS) का निदेशक होता है। इसमें INCOIS, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), और गृह मंत्रालय के अधिकारी शामिल होते हैं।
सुनामी से निपटने के लिए भारत के अन्य प्रयास
- सुनामी जोखिम प्रबंधन दिशा-निर्देश: NDMA के दिशा-निर्देश बेहतर जोखिम प्रबंधन के लिए जागरूकता बढ़ाने, क्षमता निर्माण, शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान एवं विकास (R&D) की सिफारिश करते हैं।
- भारतीय सुनामी पूर्व-चेतावनी केंद्र (ITEWC): यह अंतिम-मील कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए हिंद महासागर के 25 तटीय देशों को सुनामी संबंधी सलाह प्रदान करता है।
- तकनीक का उपयोग: सुनामी की चेतावनी के लिए बॉटम प्रेशर रिकॉर्डर्स (BPRs) बोय (buoys) और उपग्रह संचार का उपयोग किया जाता है।
यूनेस्को के अंतर-सरकारी समुद्र विज्ञान आयोग (IOC) के बारे में
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