भारत में खुदरा मुद्रास्फीति के रुझान
भारत की खुदरा मुद्रास्फीति में मई 2025 में और गिरावट आई, जो अप्रैल में 3.16% से 2.82% तक पहुंच गई। यह कमी कई कारकों से प्रभावित थी, जिसमें अनुकूल आधार प्रभाव और सब्जियों तथा दालों की कीमतों में उल्लेखनीय कमी शामिल है।
मुद्रास्फीति पर प्रमुख प्रभाव
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) ने आखिरी बार फरवरी 2019 में 2.57% का निचला स्तर दर्ज किया था।
- मई में खाद्य मुद्रास्फीति 43 महीने के निम्नतम स्तर 0.99% पर आ गयी, जो अप्रैल में 1.78% थी।
- निम्नलिखित स्थानों पर कीमतों में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई:
- सब्जियाँ: वर्ष-दर-वर्ष 13.7% की गिरावट
- दालें: 8.23% गिरावट
- खाद्य तेल की कीमतों में 17.9% की वृद्धि हुई, जो लगातार चिंता का विषय है।
- फलों की कीमतों में 12.7% की वृद्धि जारी रही, जो लगातार पांच महीनों तक दोहरे अंक की मुद्रास्फीति का संकेत है।
अतिरिक्त इकोनॉमिक इनसाइट्स
- अस्थिर खाद्य एवं ईंधन घटकों को छोड़कर कोर मुद्रास्फीति मई में बढ़कर 4.2% हो गई।
- ईंधन की कीमतें 2.78% की गिरावट के बावजूद, अगस्त 2023 के बाद से अब तक के अधिकतम स्तर तक पहुंच गईं।
- सेवा मुद्रास्फीति प्रवृत्तियाँ:
- व्यक्तिगत देखभाल (13.5%), स्वास्थ्य (4.34%) और परिवहन (3.85%) में वृद्धि हुई।
- मनोरंजन (2.45%) और घरेलू सेवाओं (2%) में कमी आई।
क्षेत्रीय मुद्रास्फीति में विविधताएँ
- ग्रामीण मुद्रास्फीति: 2.59%; शहरी मुद्रास्फीति: 3.07%
- केरल में खुदरा मुद्रास्फीति सबसे अधिक 6.46% दर्ज की गई, जबकि तेलंगाना में सबसे कम 0.55% रही।
मौद्रिक नीति और आर्थिक दृष्टिकोण
- 6 जून को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो दर में 50 आधार अंकों की कटौती की तथा "तटस्थ" रुख अपनाया।
- RBI ने चालू वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति अनुमान को संशोधित कर 3.7% कर दिया।
- अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि आगामी नीति समीक्षा में दरें अपरिवर्तित रहेंगी।
मुद्रास्फीति सांख्यिकी (2019-2025)
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) से जनवरी 2019 से मई 2025 तक की मुद्रास्फीति दरों का सारांश लिया गया है। यह सारांश इस अवधि के दौरान मुद्रास्फीति में आए उतार-चढ़ाव को दर्शाता है, जिसमें अधिकतम तथा न्यूनतम के कुछ चरण शामिल हैं।