ऑपरेशन सिंदूर: भारत को सिर्फ खंडन की नहीं, सूचना-रक्षा की जरूरत है | Current Affairs | Vision IAS

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ऑपरेशन सिंदूर: भारत को सिर्फ खंडन की नहीं, सूचना-रक्षा की जरूरत है

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ऑपरेशन सिंदूर: नैरेटिव और गलत सूचनाओं की लड़ाई

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, पारंपरिक युद्ध के बजाय नैरेटिव और गलत सूचनाओं पर केंद्रित एक नया युद्धक्षेत्र उभरा। झूठी कहानियों का इस्तेमाल जनता की धारणा को प्रभावित करने और भ्रम फैलाने के लिए किया गया। यह सूचना युग में एक बड़ी चुनौती को उजागर करता है, जहां सच्चाई अक्सर सबसे पहले हताहत होती है। मुख्य लड़ाई अराजकता के बीच वास्तविकता को पुनः प्राप्त करने में निहित है। 

गलत सूचना का प्रसार 

  • गलत सूचना अपने कथात्मक प्रारूप के कारण तेजी से फैलती है, जिसे लोग साधारण तथ्यों की तुलना में बेहतर ढंग से याद रखते हैं।
  • कांस्पीरेसी थ्योरी जटिल मुद्दों के लिए सरल स्पष्टीकरण प्रदान करती हैं, जिससे उन्हें साझा करना आसान और भूलना कठिन होता है। 
  • एल्गोरिदम द्वारा संचालित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, मौजूदा मान्यताओं को मजबूत करने वाले इको चैंबर्स का निर्माण करके इस समस्या को और भयावह कर देते हैं। 
  • लोग अक्सर उन विचारों का बचाव करते हैं जो उनकी पहचान से जुड़े होते हैं तथा बाहरी लोगों से प्राप्त तथ्यों को अस्वीकार कर देते हैं। 

मुख्यधारा की मीडिया के लिए चुनौतियाँ

  • पुराने समाचार आउटलेटों को ध्यान आकर्षित करने के लिए निरंतर प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है। अक्सर, वे तथ्य की जांच की जगह गति और सनसनीखेज वाली खबरों को प्राथमिकता देते हैं।
  • आर्थिक दबाव और विखंडित दर्शक विशिष्ट लक्षित समूहों को आकर्षित करने वाली सामग्री को प्रोत्साहित करते हैं, जिससे अनजाने में गलत सूचना को बढ़ावा मिलता है।

फर्जी खबरों से निपटने के प्रयास

  • सरकार ने सरकारी कामकाज से संबंधित गलत सूचनाओं पर अंकुश लगाने के लिए 2019 में प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) फैक्ट चेक यूनिट की स्थापना की, जिसमें 2021 में संशोधन किया गया। 
  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों ने तीसरे पक्ष के फैक्ट चेकर्स के साथ साझेदारी और क्राउड-सोर्स्ड सत्यापन जैसे उपाय शुरू किए हैं। 

फैक्ट-चेक यूनिट्स के लिए चुनौतियाँ

  • फैक्ट-चेक यूनिट्स का प्रभाव सीमित है, क्योंकि उनके उत्तर रोचक नहीं होते हैं और वे दर्शकों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ने में असफल रहते हैं।
  • प्रभावी फैक्ट-चेक में स्टोरीटेलिंग, विश्वास पैदा करने के लिए प्रासंगिक और सांस्कृतिक रूप से परिचित नैरेटिव का उपयोग करना शामिल होना चाहिए।
  • प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की मन की बात नीतिगत संदेशों को भावनात्मक रूप से गूंजने वाले नैरेटिव में बदलने का एक उदाहरण है। 

मानव-केंद्रित कहानियों की शक्ति

  • फैक्ट-चेक पहल के तहत झूठे दावों से गुमराह हुए व्यक्तियों को उजागर किया जा सकता है या फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को बातचीत के माध्यम से तथ्यों को समझाने का अवसर दिया जा सकता है। 
  • वास्तविक जीवन पर आधारित नैरेटिव और सहानुभूति जैसे मूल्य सत्यापित जानकारी को अधिक यादगार बनाते हैं। 
  • प्रशंसा-पत्र, व्यंग्य और लोक-कथाओं जैसे साधन सत्य को आकर्षक और स्मरणीय बना सकते हैं।  

प्रभावी फैक्ट-चेक के लिए रणनीतियाँ

  • विश्वसनीय फैक्ट-चेक निकायों को अधिक विश्वास अर्जित करने के लिए अधिकार के साथ स्टोरी बनानी और साझा करनी चाहिए। 
  • इसके लिए जनता का विश्वास पुनः हासिल करने हेतु स्टोरी टेलिंग के कौशल, भावनात्मक जुड़ाव और सांस्कृतिक जागरूकता की आवश्यकता होती है। 

निष्कर्ष में, फैक्ट-चेक इकाइयों को गलत सूचनाओं का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए, उन्हें कथात्मक संचार में अग्रणी बनना होगा। सत्य सम्मोहक होना चाहिए और झूठ पर विजय पाने के लिए दर्शकों के साथ प्रतिध्वनित होना चाहिए। 

  • Tags :
  • Battle of Narratives and Misinformation
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