सतत विकास लक्ष्य 5 (SDG 5) पर भारत की प्रगति का आकलन
भारत SDG 5 पर प्रगति का जिलावार मूल्यांकन करने के लिए तैयार है, जो लैंगिक समानता और महिलाओं और लड़कियों के सशक्तीकरण पर केंद्रित है। इस पहल का नेतृत्व नीति आयोग और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय कर रहे हैं।
पृष्ठभूमि और वर्तमान स्थिति
- SDG 5 के अंतर्गत प्रत्येक संकेतक और उप-संकेतक का विस्तृत विश्लेषण शुरू हो गया है।
- यह आकलन संयुक्त राष्ट्र की SDG रिपोर्ट 2024 के बाद आया है, जिसमें 2030 तक लैंगिक समानता हासिल करने में महत्वपूर्ण चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है।
- विश्व आर्थिक मंच की वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट 2025 में भारत को 148 देशों में से 131वें स्थान पर रखा गया है, जिसमें लैंगिक समानता स्कोर 64.1 है।
उद्देश्य और अपेक्षित परिणाम
- सुधार की आवश्यकता वाले क्षेत्रों को चिन्हित करने के लिए संकेतकों के आधार पर जिलावार प्रगति की पहचान करना।
- भारत की वैश्विक रैंकिंग को सुधारने के लिए आवश्यक हस्तक्षेपों की रूपरेखा तैयार करना तथा 2030 तक लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिए त्वरित उपाय करना।
- प्रारंभिक निष्कर्षों की सारांश रिपोर्ट जारी की जाएगी, जिसके बाद नीति समायोजन के लिए विस्तृत विश्लेषण किया जाएगा।
वर्तमान चुनौतियाँ
- सतत विकास रिपोर्ट 2024 में 166 देशों में से भारत 109वें स्थान पर है तथा लैंगिक समानता की दिशा में प्रगति धीमी है।
- लक्ष्य 5 के अंतर्गत SDG इंडिया इंडेक्स स्कोर 2020-21 से 2023-24 तक 48 पर अपरिवर्तित बना हुआ है, जो मध्यम प्रगति को दर्शाता है।
- 13 राज्य और एक केंद्र शासित प्रदेश SDG 5 पर राष्ट्रीय औसत से नीचे हैं।
SDG 5 के अंतर्गत प्रमुख संकेतक
- महिलाओं और लड़कियों के प्रति सभी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करना।
- तस्करी और शोषण सहित महिलाओं और लड़कियों के विरुद्ध हिंसा को समाप्त करना।
- बाल विवाह एवं जबरन विवाह तथा महिला जननांग विकृति जैसी हानिकारक प्रथाओं का उन्मूलन करना।
- अवैतनिक देखभाल और घरेलू काम को मान्यता देना और उसका मूल्यांकन करना।
- राजनीतिक, आर्थिक और सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की पूर्ण भागीदारी और नेतृत्व को बढ़ावा देना।
- यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य एवं अधिकारों तक सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करना।