सेबी द्वारा एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) तंत्र
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) शेयर बाजार में निवेशकों को गुमराह करने वाली अपंजीकृत संस्थाओं के मुद्दे को हल करने के लिए एक संरचित UPI एड्रेस तंत्र को लागू कर रहा है।
उद्देश्य
- पंजीकृत मध्यस्थों द्वारा निवेशकों से धन संग्रह को सुव्यवस्थित करना।
- वैध सेबी-पंजीकृत मध्यस्थों की पहचान सक्षम करना।
- निवेशक सुरक्षा को बढ़ाना तथा प्रतिभूति बाजार में अनधिकृत धन संग्रह से निपटना।
कार्यान्वयन से संबंधित तथ्य
- पंजीकृत मध्यस्थों के लिए एक विशिष्ट “@valid” हैंडल के साथ एक संरचित और मान्य UPI एड्रेस तंत्र की शुरूआत।
- इन सुविधाओं को शुरू करने की अंतिम तिथि 1 अक्टूबर, 2025 निर्धारित की गई है।
- भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा आवंटित मान्य UPI हैंडल।
UPI एड्रेस की संरचना
- उपयोगकर्ता नाम में मध्यस्थ द्वारा चुना गया नाम शामिल होगा, जिसे पढ़ा जा सकेगा।
- मध्यस्थ श्रेणी की पहचान के लिए अनिवार्य प्रत्यय:
- स्टॉक ब्रोकरों के लिए '.brk'
- म्यूचुअल फंड के लिए '.mf'
- उदाहरण: XYZ बैंक के ब्रोकर ABC लिमिटेड के लिए UPI आईडी abc.brk@validXYZ होगी।
निवेशक के लिए सुविधाएँ
- वैध लेनदेन के लिए दृश्य संकेतक: "हरे त्रिकोण के अंदर थंब्स-अप" आइकन।
- निवेशकों के लिए संरचित UPI हैंडल का उपयोग वैकल्पिक है; अन्य भुगतान विधियां उपलब्ध हैं।
- मौजूदा चालू SIPs अप्रभावित रहेंगी, लेकिन नई SIPs को 1 अक्टूबर, 2025 के बाद नई UPI IDs का उपयोग करना होगा।
सेबी चेक टूल
- यह QR कोड या मैनुअल प्रविष्टि के माध्यम से UPI IDs के सत्यापन को सुविधाजनक बनाता है।
- बैंक खाता संख्या और IFSC जैसे मध्यस्थ बैंक विवरण की पुष्टि करता है।
- 1 अक्टूबर, 2025 से उपलब्ध।
- वित्तीय लेनदेन से पहले सत्यापन और प्रामाणिकता को बढ़ाता है।
सेबी के अध्यक्ष तुहिन कांत पांडे ने प्रतिभूति बाजार में लेनदेन सुरक्षा और पहुंच में सुधार लाने में तंत्र की भूमिका पर जोर दिया।