भारत-चीन कूटनीतिक जुड़ाव
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठकों के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की चीन यात्रा के साथ भारत और चीन के बीच महत्वपूर्ण कूटनीतिक बातचीत होने वाली है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैन्य गतिरोध के बाद यह एक बड़ी बातचीत है।
प्रमुख बैठकें और चर्चाएँ
- चर्चा में संचार, आपसी विश्वास को मजबूत करने और सीमा संबंधी मुद्दों के समाधान पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए सभी प्रकार के आतंकवाद का मुकाबला करने के महत्व पर बल दिया।
SCO बैठकें और क्षेत्रीय गतिशीलता
- भारत 26-27 जून को क़िंगदाओ में होने वाली SCO बैठक में भाग लेगा, जिसमें सीमा पार आतंकवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- इस संदर्भ में हाल ही में ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर अमेरिका और इजरायल द्वारा की गई बमबारी भी शामिल है, जिससे सैन्य वृद्धि के प्रभावों पर चर्चा शुरू हो गई है।
- रूस, चीन और पाकिस्तान ने पश्चिम एशिया में तनाव कम करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को सह-प्रायोजित किया है।
- इन मुद्दों पर भारत का रुख, विशेषकर अमेरिकी हमलों के संबंध में, अन्य SCO सदस्यों के लिए महत्वपूर्ण होगा।
कैलाश मानसरोवर यात्रा और द्विपक्षीय विकास
- कैलाश मानसरोवर यात्रा छह वर्षों में पहली बार पुनः शुरू हो गई है। इस यात्रा के लिए 750 तीर्थयात्रियों का चयन किया गया है।
- कोविड-19 महामारी और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सीमा तनाव के कारण तीर्थयात्रा को शुरू में निलंबित कर दिया गया था।
- विदेश सचिव विक्रम मिस्री और चीनी अधिकारियों के बीच पूर्व में हुई वार्ता में बातचीत की बहाली पर सहमति बनी थी।
- चर्चा में सीधी उड़ानों को पुनः शुरू करने, जल विज्ञान संबंधी जानकारी के आदान-प्रदान तथा आर्थिक एवं व्यापारिक वार्ता को बढ़ाने पर भी चर्चा हुई।
आगामी राजनयिक कार्यक्रम
- प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी तियानजिन में SCO शिखर सम्मेलन और रियो डी जेनेरियो में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए चीन जा सकते हैं।
- संबंधों को सामान्य बनाने के प्रयास 2024 में कज़ान में वार्ता के दौरान शुरू किये गये।
- इन बैठकों को तनाव कम करने और द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।