अमेरिकी हवाई हमलों के बाद ईरान के पास बहुत कम विकल्प बचे हैं, उनमें से कोई भी अच्छा नहीं है | Current Affairs | Vision IAS

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अमेरिकी हवाई हमलों के बाद ईरान के पास बहुत कम विकल्प बचे हैं, उनमें से कोई भी अच्छा नहीं है

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ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर अमेरिकी हवाई हमले 

संयुक्त राज्य अमेरिका ने फोर्डो, नतांज़ और इस्फ़हान में ईरानी परमाणु सुविधाओं पर हवाई हमले किए। इन हमलों का उद्देश्य ईरान की परमाणु क्षमताओं को कम करना था। अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने बड़ी क्षति का दावा किया है। 

अंतर्राष्ट्रीय एवं घरेलू प्रतिक्रियाएँ

  • अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA): नतांज़ और इस्फ़हान में भारी नुकसान की रिपोर्ट की गई है, लेकिन फ़ोर्डो के नुकसान का पुख्ता आकलन नहीं किया जा सका है। इसने संभावित रेडियोधर्मी उत्सर्जन के कारण संयम बरतने का आह्वान किया है।
  • ईरानी प्रतिक्रिया: ईरान ने हमलों की निंदा की तथा इन्हें "बर्बर" तथा अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया। साथ ही, ईरान ने जवाबी कार्रवाई का वादा किया।
  • अमेरिका में घरेलू प्रतिक्रिया: कांग्रेस ने इस कदम की आलोचना की। इसमें कुछ सदस्यों ने कहा कि हमलों ने युद्ध शक्ति अधिनियम का उल्लंघन किया है। असहमति मुख्य रूप से डेमोक्रेट्स से आई, लेकिन कुछ रिपब्लिकन ने भी कांग्रेस से अनुमति की कमी की आलोचना की। 

क्षेत्रीय निहितार्थ और रणनीतिक गतिशीलता

  • इजरायल की स्थिति: इजरायल ने हमलों का स्वागत किया, क्योंकि वह फोर्डो पर प्रभावी हमला नहीं कर सका। अमेरिका के समर्थन के साथ, ईरान के खिलाफ इजरायल का सैन्य रुख और भी तीखा हो सकता है। 
  • ईरान का संभावित जवाब:
    • आस-पास के अमेरिकी सैन्यकर्मियों और ठिकानों को निशाना बनाया जा सकता है।
    • इजराइल के विरुद्ध ड्रोन और मिसाइल क्षमताओं का उपयोग किया जा सकता है।
    • हिजबुल्लाह और हमास जैसे क्षेत्रीय सहयोगियों से सीमित समर्थन मिला तथा केवल यमन में हूथी ही व्यवहार्य प्रॉक्सी के रूप में बचे हैं। 

भू-राजनीतिक प्रभाव 

  • ईरान की कूटनीतिक चालें: चीन और रूस से समर्थन प्राप्त करना। हालांकि, इन सहयोगियों से पर्याप्त सैन्य सहायता मिलने की संभावना नहीं है।
  • अमेरिका-इजराइल-ईरान त्रिकोण: यदि ईरानी शासन को बड़े आंतरिक दबाव का सामना करना पड़ता है तो संभावित दीर्घकालिक रणनीतिक निहितार्थों के साथ शत्रुता में वृद्धि होगी।
  • इतिहास से चेतावनियाँ: इराक में सद्दाम हुसैन को अपदस्थ किये जाने के बाद की स्थिति से महत्वपूर्ण सबक लेते हुए ईरान में संभावित शासन परिवर्तन के प्रति सावधानी बरती जानी चाहिए। 

इस प्रकार के सैन्य हस्तक्षेपों से उत्पन्न होने वाली जटिलताओं और संभावित क्षेत्रीय अस्थिरता के बारे में सावधानी बरतने और ऐतिहासिक उदाहरणों पर विचार करने की आवश्यकता है। 

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