संसदीय पैनल की रिपोर्ट की रचनात्मक भूमिका
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शासन में संसदीय पैनल की रिपोर्टों की रचनात्मक भूमिका पर जोर देते हुए सरकार से आग्रह किया कि वह इन्हें आलोचना की जगह मार्गदर्शन के रूप में देखें।
- प्राक्कलन समितियों के राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान, बिरला ने कहा कि इन समितियों को विरोधात्मक रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
- उन्होंने अधिकारियों द्वारा इन रिपोर्टों को गंभीरता से लेने तथा एक्शन-टेकेन रिपोर्ट समय पर प्रस्तुत करने के महत्व पर प्रकाश डाला।
संसदीय समितियों का योगदान
बिरला ने इस बात को स्वीकार किया कि संसदीय समितियों में सदस्य अपने साथ बहुमूल्य सार्वजनिक सेवा का अनुभव लेकर आते हैं, जो प्रभावी विचार-विमर्श के लिए महत्वपूर्ण है।
- उन्होंने लोकतंत्र के लिए संस्थापक सदस्यों के दृष्टिकोण को रेखांकित किया कि सरकार से जनता की अपेक्षाएं प्रतिबिंबित होनी चाहिए।
- निर्वाचित प्रतिनिधियों का यह कर्तव्य है कि वे सुनिश्चित करें कि इन अपेक्षाओं को व्यक्त किया जाए और पूरा किया जाए।
शासन और निगरानी में सुधार
बिरला ने कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए केन्द्र और राज्य दोनों स्तरों पर शासन में अधिक पारदर्शिता की वकालत की।
- दो दिवसीय सम्मेलन में समिति की बैठकों की न्यूनतम संख्या निर्धारित करके निगरानी को मजबूत करने का प्रस्ताव पारित किया गया।
- रिपोर्टों की संख्या को मानकीकृत करने तथा बजट जांच और वित्तीय विश्लेषण को बढ़ाने के लिए सदस्यों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम शुरू करने पर सहमति बनी।