आपातकाल
25 जून 1975 को आपातकाल लगाया गया था, जो भारतीय इतिहास के सबसे काले दौर में से एक था। इस 21 महीने की अवधि में नागरिक स्वतंत्रता, प्रेस की स्वतंत्रता का निलंबन, सामूहिक गिरफ्तारियाँ, चुनाव रद्द करना और हुक्मनामे द्वारा शासन का दौर देखा गया।
ऐतिहासिक एवं सामाजिक संदर्भ
- इंदिरा गांधी ने 1971 में भारी चुनावी जीत के साथ सत्ता हासिल की, लेकिन उनकी सरकार को कई संकटों का सामना करना पड़ा, जिनमें 1971 के भारत-पाक युद्ध से उत्पन्न आर्थिक चुनौतियां, सूखा और 1973 का तेल संकट शामिल थे।
- भ्रष्टाचार, कुशासन और राज्य की ज्यादतियों ने जनता में असंतोष को बढ़ावा दिया।
- 1974 में गुजरात और बिहार में छात्र आंदोलनों के कारण महत्वपूर्ण राजनीतिक अशांति पैदा हो गई, जिसमें जयप्रकाश नारायण ने "सम्पूर्ण क्रांति" का आह्वान किया।
- 12 जून 1975 को इंदिरा गांधी को चुनावी कदाचार का दोषी ठहराया गया, जिसके कारण उनके इस्तीफे की मांग की गई।
आपातकाल लागू करना
- इस घोषणा पर 25 जून 1975 को राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने हस्ताक्षर किये तथा आकाशवाणी के माध्यम से इसकी घोषणा की गयी।
- आपातकाल 21 मार्च 1977 तक चला, जिसके कारण संघीय ढांचा वस्तुतः एकात्मक प्रणाली में परिवर्तित हो गया।
- लगभग सभी विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया और लगभग 1.12 लाख लोगों को कठोर कानूनों के तहत हिरासत में लिया गया।
संवैधानिक संशोधन और परिणाम
- 1976 के 42वें संशोधन ने न्यायपालिका की शक्तियों को प्रतिबंधित कर दिया और संसद को न्यायिक समीक्षा के बिना संविधान में संशोधन करने की अनुमति दे दी।
- मौलिक अधिकारों पर अंकुश लगाया गया, प्रेस सेंसरशिप लागू की गई और पत्रकारों को जेल में डाल दिया गया।
- संजय गांधी के "पांच सूत्री कार्यक्रम" में जबरन नसबंदी और झुग्गी-झोपड़ियों को हटाने जैसे विवादास्पद कार्य शामिल थे, जिसके कारण जनता में काफी नाराजगी हुई।
आपातकाल की समाप्ति और उसके बाद की स्थिति
- 1977 में इंदिरा गांधी ने चुनावी सफलता की आशा में आपातकाल हटा लिया, लेकिन उन्हें बड़ी चुनावी हार का सामना करना पड़ा।
- जनता पार्टी की सरकार ने आपातकाल के दौरान किए गए कई संवैधानिक परिवर्तनों को उलट दिया।
- आपातकाल की घोषणा की न्यायिक समीक्षा को पुनः बहाल कर दिया गया, तथा भविष्य में आपातकाल की घोषणा के लिए विशेष बहुमत की आवश्यकता जैसे प्रावधान संविधान में शामिल किए।
आपातकाल की स्थायी विरासत
- आपातकाल ने राजनीतिक परिवर्तन को गति दी, कांग्रेस का प्रभुत्व कम हुआ और नए राजनीतिक नेताओं का उदय हुआ।
- जनता सरकार द्वारा मंडल आयोग की नियुक्ति ने उत्तर भारत में ओबीसी के उत्थान की नींव रखी।