बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण
भारत के निर्वाचन आयोग (ईसी) ने बिहार में मतदाता सूची का "विशेष गहन पुनरीक्षण" शुरू किया है। इसमें विशेष रूप से उन मतदाताओं को लक्षित किया गया है, जिनका नाम 2003 के बाद से मतदाता सूची में नहीं है। यह कदम मतदाता सूची की अखंडता को बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभ्यास का हिस्सा है।
पात्रता हेतु दस्तावेज़
- 1 जुलाई, 1987 से पहले जन्मे मतदाताओं को अपनी जन्मतिथि और/या जन्म स्थान साबित करने वाले दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।
- जिनका जन्म 1 जुलाई 1987 और 2 दिसंबर, 2004 के बीच हुआ है, उनके लिए माता-पिता में से किसी एक की जन्म तिथि और/या जन्म स्थान का प्रमाण आवश्यक है।
- जिनका जन्म 2 दिसंबर, 2004 के बाद हुआ है, उन्हें अपने माता-पिता दोनों की जन्म तिथि और/या जन्म स्थान का प्रमाण देना होगा।
कानूनी ढांचा और ऐतिहासिक संदर्भ
- इस कार्य को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 द्वारा सशक्त किया गया है।
- 1952 और 1956 के बीच प्रथम संशोधन के बाद से यह 14वीं बार है जब ऐसी शक्ति का प्रयोग किया जा रहा है।
- बिहार में अंतिम गहन पुनरीक्षण 2003 में किया गया था।
प्रक्रिया हेतु टाइमलाइन
यह प्रक्रिया तत्काल शुरू होने वाली है तथा 1 अगस्त को मसौदा नामावलियाँ प्रकाशित की जाएंगी। दावे और आपत्तियाँ दाखिल करने की एक महीने की अवधि 1 सितंबर तक चलेगी, जो 30 सितंबर को अंतिम नामावलियाँ प्रकाशित करने के साथ समाप्त होगी।
उद्देश्य और उपाय
- यह सुनिश्चित करना कि सभी पात्र नागरिक नामांकित हों तथा अपात्र व्यक्तियों को इससे बाहर रखा जाए।
- मतदाताओं को जोड़ने और हटाने के दौरान पारदर्शिता बनाए रखना।
- तीव्र शहरीकरण, प्रवासन और विदेशी अवैध आप्रवासियों के समावेशन जैसे मुद्दों पर ध्यान देना।
- गोपनीयता की सुरक्षा करते हुए पारदर्शिता के लिए दस्तावेज़ अपलोड करने हेतु प्रौद्योगिकी का उपयोग करना।
राजनीतिक और प्रशासनिक भागीदारी
- राजनीतिक दलों को इस प्रक्रिया में सहायता के लिए बूथ स्तरीय एजेंट नियुक्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
- निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी कानूनी मानकों के अनुसार पात्रता को सत्यापित और सुनिश्चित करेंगे।
तकनीकी एकीकरण
- प्रस्तुत दस्तावेज केवल अधिकृत अधिकारियों द्वारा सत्यापन के लिए ECINET ऐप पर अपलोड किए जाएंगे।
- मतदाताओं के पास ECI वेबसाइट और ऐप के माध्यम से फॉर्म और दस्तावेज ऑनलाइन जमा करने का विकल्प है।
EVM और VVPAT प्रोटोकॉल में संशोधन
- जिन मशीनों में मॉक पोल के वोट मिटाए नहीं गए हैं, उनकी गिनती अलग से की जाएगी।
- पीठासीन एवं मतदान अधिकारियों द्वारा अनुपालन न करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रावधान है।
प्रासंगिक चुनौतियाँ
चुनाव आयोग ने यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि राजनीतिक विपक्ष द्वारा मतदाता सूचियों की सत्यता पर सवाल उठाए गए थे। सुचारू प्रक्रिया सुनिश्चित करने और विवादों को कम करने के लिए राजनीतिक दलों से सक्रिय भागीदारी की अपेक्षा की जाती है।
2024 के लोकसभा चुनावों तक, बिहार में लगभग 7.72 करोड़ पंजीकृत मतदाता थे, जो इस रिवीजन अभ्यास के व्यापक दायरे और महत्व पर जोर देता है।