वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए जीएसटी सुधार की आवश्यकता
'जीएसटी के आठ वर्ष: चिंतन का समय, सुधार का समय' शीर्षक वाली पीडब्ल्यूसी की हालिया रिपोर्ट में भारत की वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया गया है, ताकि वैश्विक व्यापार गतिशीलता के साथ बेहतर तालमेल बिठाया जा सके और निवेश आकर्षित किया जा सके।
रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशें
- जीएसटी ढांचा गतिशील, निवेशक-अनुकूल तथा वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी होना चाहिए ताकि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के उभरते परिदृश्य की पूर्ति की जा सके।
- दरों को युक्तिसंगत बनाने और इनपुट टैक्स क्रेडिट पात्रता को व्यापक बनाने की सिफारिश की गई।
- विमानन टरबाइन ईंधन और प्राकृतिक गैस को जीएसटी के अंतर्गत शामिल करने की वकालत की।
- विवादों को कम करने और कर निश्चितता को बढ़ाने के लिए चार-स्तरीय दर संरचना से तीन-स्तरीय दर संरचना में परिवर्तन का सुझाव दिया गया है।
जीएसटी संग्रह की उपलब्धियां
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सकल जीएसटी संग्रह पांच वर्षों में दोगुना हो गया है, जो वित्त वर्ष 2024-25 में 22.08 लाख करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है, जबकि वित्त वर्ष 21 में यह 11.37 लाख करोड़ रुपये था।