परिचय
6 जुलाई को 14वें दलाई लामा, "परम पूज्य" तेनजिन ग्यात्सो का 90वाँ जन्मदिन है। पूरी दुनिया एक महत्वपूर्ण प्रश्न पर चिंतन करने को विवश है: दलाई लामा के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी का निर्णय लेने का अधिकार किसके पास है?
गदेन फोद्रंग ट्रस्ट
- दलाई लामा ने अपने आध्यात्मिक उत्तराधिकार की प्रक्रिया की निगरानी के लिए गदेन फोद्रंग ट्रस्ट की स्थापना की है, जो इस प्रक्रिया पर नियंत्रण स्थापित करने के बीजिंग के प्रयासों को चुनौती देता है।
- यह निर्णय सत्तावादी नियंत्रण के विरुद्ध आध्यात्मिक परंपरा की रक्षा का प्रतीक है।
चीन की भूमिका और गलत अनुमान
- चीन ऐतिहासिक रूप से तिब्बत पर नियंत्रण चाहता रहा है, जैसा कि 1959 के तिब्बती विद्रोह और 1995 में पंचेन लामा के अपहरण जैसी घटनाओं से स्पष्ट होता है।
- अगले दलाई लामा की नियुक्ति के लिए बीजिंग द्वारा किए गए प्रयासों को बलपूर्वक तथा वैधता से रहित माना जा रहा है।
- दलाई लामा का आध्यात्मिक उत्तराधिकार एक गहन आध्यात्मिक और आत्मनिरीक्षणात्मक प्रक्रिया है, जो किसी राजनीतिक दबाव के अधीन नहीं है।
भारत की स्थिति और जिम्मेदारी
- भारत पर ऐतिहासिक जिम्मेदारी है, क्योंकि उसने 1959 में दलाई लामा को शरण दी थी।
- भारत को तिब्बती लोगों की आध्यात्मिक स्वायत्तता का सार्वजनिक रूप से समर्थन करने की आवश्यकता है, जिससे रणनीतिक अस्पष्टता का इतिहास समाप्त हो सके।
- तिब्बत का समर्थन करना भारत के नैतिक सिद्धांतों और रणनीतिक हितों के अनुरूप है।
दलाई लामा की विरासत
- 90 वर्ष की उम्र में भी दलाई लामा करुणा और प्रतिरोध के प्रतीक बने हुए हैं तथा उन्होंने चुनौतियों का सामना हास्य और शांति के साथ किया है।
- यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनकी विरासत जारी रहे, आध्यात्मिक उत्तराधिकार की प्रक्रिया में बाहरी हस्तक्षेप के खिलाफ सामूहिक कदम उठाने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
दलाई लामा के आध्यात्मिक उत्तराधिकार का भविष्य तिब्बती लोगों द्वारा तय किया जाना चाहिए, ताकि उनकी आध्यात्मिक परंपराओं को संरक्षित किया जा सके। वैश्विक समुदाय, विशेष रूप से भारत को परम पूज्य की विरासत का सम्मान करने और समय और नैतिक अधिकार का सार्थक उपयोग सुनिश्चित करने के लिए इस रुख का समर्थन करना चाहिए।